नारद पुराण – एक अनमोल खजाना जो आज भी प्रासंगिक है
जब भी हम अपने पुराने धार्मिक ग्रंथों की बात करते हैं तो मन में एक सवाल जरूर आता है कि क्या वो आज के दौर में भी उतने ही काम के हैं ? खासकर जब बात नारद पुराण की हो तो यह सवाल और भी महत्वपूर्ण हो जाता है ! देवर्षि नारद के नाम से जुड़ा यह अद्भुत ग्रंथ सिर्फ कहानियों का संग्रह नहीं बल्कि जीवन जीने की पूरी कला है !
मैंने जब पहली बार नारद पुराण के बारे में पढ़ा था तो सच कहूं तो पहले लगा कि यह भी बाकी पुराणों की तरह सिर्फ धार्मिक कथाओं का भंडार होगा ! लेकिन जैसे जैसे इसकी गहराई में गया, पता चला कि यह तो जीवन के हर पहलू को छूता है ! चाहे वो गणित हो, खगोल विज्ञान हो, वास्तु शास्त्र हो या फिर व्यावहारिक जीवन के नियम हों !
अट्ठारह ( 18 ) महापुराणों में नारद पुराण की अपनी एक अलग पहचान है ! इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह एक व्यापक मार्गदर्शिका की तरह काम करता है ! जैसे आजकल हमारे पास गूगल पर हर सवाल का जवाब मिल जाता है वैसे ही हमारे पुराने जमाने में नारद पुराण एक संपूर्ण संदर्भ पुस्तक था !
कहा जाता है कि इस पुराण में करीब बाईस हजार ( 22,000 ) श्लोक हैं जो दो सौ सात ( 207 ) अध्यायों में बांटे गए हैं ! लेकिन यहां दिलचस्प बात यह है कि यह सिर्फ संख्याओं का खेल नहीं है ! हर अध्याय में कुछ ऐसा है जो आपकी जिंदगी को बेहतर बना सकता है ! क्या आपको लगता है कि हज़ारों साल पहले के लोग इतना व्यावहारिक सोच सकते थे ?
नारद पुराण दो मुख्य भागों में बंटा हुआ है – पूर्व भाग और उत्तर भाग ! पूर्व भाग में एक सौ पच्चीस ( 125 ) अध्याय हैं जबकि उत्तर भाग में बयासी ( 82 ) अध्याय हैं ! यह बंटवारा बिल्कुल तर्कसंगत है ! पूर्व भाग में जो चीजें हैं वो आपको नींव देती हैं जैसे कि ब्रह्मांड कैसे बना, पूजा के तरीके क्या हैं, व्रत कैसे करते हैं, और ज्ञान के अलग अलग रूप क्या हैं !
उत्तर भाग थोड़ा उन्नत स्तर का है ! इसमें भगवान विष्णु के अवतारों की कथाएं हैं, रुक्मांगद जैसे महान भक्तों की गाथाएं हैं ! यह व्यवस्था बिल्कुल वैसी ही है जैसे आज हमारी शिक्षा प्रणाली में पहले बुनियादी बातें सिखाते हैं फिर उन्नत विषयों पर जाते हैं !
एकादशी की कहानी – जो सिखाती है जिंदगी का फलसफा
नारद पुराण में एकादशी व्रत की जो कहानी है वो मेरे हिसाब से सिर्फ धार्मिक कथा नहीं है ! यह तो एक संपूर्ण जीवन दर्शन है ! राजा रुक्मांगद की कहानी इतनी प्रेरणादायक है कि आज के नेतृत्व विशेषज्ञ भी इससे बहुत कुछ सीख सकते हैं !
सोचिए जरा, एक राजा अपने पूरे राज्य में एकादशी व्रत अनिवार्य कर देता है ! आज के संदर्भ में देखें तो यह बहुत विवादास्पद लग सकता है ! लेकिन परिणाम क्या हुआ ? उसकी प्रजा इतनी पवित्र हो गई कि मरने के बाद सीधे स्वर्ग जाने लगी ! यमराज का काम ही बंद हो गया !
यहां दिलचस्प मोड़ यह है कि जब यमराज परेशान होकर ब्रह्मा जी के पास गए तो उन्होंने मोहिनी नाम की अप्सरा भेजी रुक्मांगद को भटकाने के लिए ! लेकिन रुक्मांगद का बेटा धर्मांगद इतना प्रतिबद्ध था कि अपनी जान देने को तैयार हो गया लेकिन पिता का व्रत नहीं तुड़वाया !
यह कहानी आज की कंपनी जगत में भी लागू होती है ! प्रतिबद्धता, मूल्य, और सिद्धांतों के लिए खड़े होना यही तो नेतृत्व है ! और अंत में क्या हुआ ? भगवान विष्णु खुद आकर पूरे परिवार को वैकुंठ ले गए !
कहानियों में हम सुनते आए हैं कि एकादशी का व्रत बहुत पुण्यदायी होता है ! लेकिन इस कहानी को पढ़ने के बाद लगता है कि यह सिर्फ पुण्य पाप की बात नहीं है बल्कि अनुशासन और संकल्प की शक्ति दिखाने की बात है !
गणित और विज्ञान – हमारे पुराने ज्ञानियों की तकनीक
अब यहां सबसे दिलचस्प हिस्सा आता है ! नारद पुराण सिर्फ धर्म की बात नहीं करता ! इसमें गणित, ज्योतिष, और खगोल विज्ञान पर पूरे अध्याय हैं ! अध्याय चौवन ( 54 ) में जो गणित है वो आज के कैलकुलेटर वाले जमाने में भी प्रासंगिक है !
इसमें वर्गमूल निकालने के तरीके हैं, त्रिकोणमिति है, चंद्र सूर्य ग्रहण की गणनाएं हैं ! सोचिए, हजारों साल पहले हमारे पूर्वज इतना उन्नत ज्ञान रखते थे ! यह सिर्फ सिद्धांतिक नहीं था बल्कि व्यावहारिक अनुप्रयोगों के लिए था !
मुझे हमेशा आश्चर्य होता है कि आज जब हम अंतरिक्ष अनुसंधान की बात करते हैं तो नासा की उपलब्धियों पर गर्व करते हैं तो यह जानकर हैरानी होती है कि खगोलीय गणनाओं का आधार तो हमारे यहीं था ! नारद पुराण में ग्रहों की स्थिति, चंद्र और सूर्य ग्रहण की जो गणनाएं हैं, वो आश्चर्यजनक रूप से सटीक हैं !
वास्तु शास्त्र – आज के वास्तुकारों के लिए मार्गदर्शिका
आधुनिक वास्तुकला में फेंग शुई को बहुत महत्व दी जाती है ! लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे यहां वास्तु शास्त्र हजारों साल पहले से है ? नारद पुराण में वास्तु के जो नियम दिए गए हैं वो आज भी उतने ही प्रभावी हैं !
घर बनाने से पहले जमीन की जांच कैसे करें यह बताने का जो वैज्ञानिक तरीका इसमें है वो कमाल का है ! एक विशिष्ट आकार का गड्ढा खोदो, फिर उसी मिट्टी से भरो ! अगर मिट्टी ज्यादा बचे तो अच्छा कम पड़े तो बुरा ! यह तो मिट्टी की घनत्व और गुणवत्ता जांचने का आदिम लेकिन प्रभावी तरीका है !
कौन से महीने में निर्माण शुरू करना चाहिए, किस दिशा में क्या रखना चाहिए यह सब इसमें विस्तार से है ! आज के संपत्ति विकासकर्ता इन नियमों को अपनाते हैं तो संपत्तियों की कीमत भी ज्यादा मिलती है !
मुझे हमेशा लगता है कि वास्तु शास्त्र की बातें पुराने जमाने की अंधविश्वास नहीं बल्कि व्यावहारिक विज्ञान थीं ! हवा का बहाव, धूप की दिशा, पानी का निकास ये सब बातें आज भी वास्तुकारों के लिए मुख्य विषय हैं !
गांव घर में आज भी लोग मानते हैं कि घर की दिशा और डिजाइन का सीधा असर परिवार की खुशी पर पड़ता है ! और यह बात गलत भी नहीं है ! जब आपका घर हवादार होगा, रोशनी अच्छी आएगी, तो मूड भी अच्छा रहेगा !
गंगा माहात्म्य – सिर्फ आस्था नहीं, विज्ञान भी
नारद पुराण में गंगा की महिमा का जो वर्णन है वो सिर्फ धार्मिक भावना नहीं है ! आज के पर्यावरण वैज्ञानिक भी मानते हैं कि गंगा का पानी प्राकृतिक रूप से शुद्ध करने वाले गुण रखता है !
पुराण में लिखा है कि गंगा में स्नान करने से, दर्शन करने से, या सिर्फ नाम लेने से भी पाप धुल जाते हैं ! अगर वैज्ञानिक शब्दों में देखें तो गंगा का पानी जीवाणुओं को मारता है, चर्म रोगों को ठीक करता है ! हजारों साल पहले यह अवलोकन बहुत उन्नत थी !
दिलचस्प बात यह है कि पुराण में गंगा की त्रिपथगा स्थिति का उल्लेख है कभी पृथ्वी पर, कभी पाताल में, कभी स्वर्ग में ! यह शायद जल चक्र को प्रतीकात्मक रूप में दर्शाता है वाष्पीकरण, वर्षा, भूजल प्रवाह !
हम बचपन से सुनते आ रहे हैं कि गंगा जी पवित्र हैं ! लेकिन अब समझ आता है कि यह पवित्रता सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि वैज्ञानिक भी है !
विष्णु भक्ति – व्यक्तित्व विकास का पुराना तरीका
नारद पुराण मूल रूप से एक वैष्णव ग्रंथ है मतलब विष्णु भक्ति केंद्रीय विषय है ! लेकिन यहां भक्ति का मतलब सिर्फ मंदिर जाकर प्रार्थना करना नहीं है ! इसमें भक्ति के दस स्तर दिए गए हैं !
यह दृष्टिकोण बिल्कुल आधुनिक स्व-सहायता पुस्तकों जैसा है ! चरणबद्ध प्रगति, मापने योग्य लक्ष्य, स्पष्ट परिणाम ! ध्रुव और प्रह्लाद जैसे पात्रों के उदाहरण भी हैं जो दिखाते हैं कि समर्पण और निरंतरता से कुछ भी हासिल किया जा सकता है !
आज के प्रेरणादायी वक्ता जो कहते हैं ” अपने आप पर विश्वास रखो “, ” अपने लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहो “, ” कभी हार मत मानो ” यह सब नारद पुराण में हजारों साल पहले लिखा गया था !
तीर्थ यात्रा – पुराना पर्यटन मार्गदर्शन
पुराण में विभिन्न तीर्थों का विस्तृत विवरण है ! रामेश्वर, मथुरा, अवंती महाकाल, नर्मदा, प्रयाग इन सभी की महिमा बताई गई है ! लेकिन यह सिर्फ धार्मिक मार्गदर्शिका नहीं है !
व्यावहारिक रूप से सोचें तो हजारों साल पहले जब परिवहन की कोई सुविधा नहीं थी तो लोग इन जगहों पर कैसे जाते थे ? यह तीर्थ यात्रा वास्तव में एक संपूर्ण यात्रा और सांस्कृतिक आदान प्रदान प्रणाली थी ! विभिन्न क्षेत्रों के लोग मिलते थे, ज्ञान साझा करते थे, व्यापार करते थे !
आज की भूमंडलीकरण की नींव यहीं से आई है ! तीर्थ यात्रा ने भारत को सांस्कृतिक रूप से एकीकृत किया था ! सोचिए, कितनी बेहतरीन योजना थी यह !
धर्म शास्त्र के संदर्भ में देखें तो नारद पुराण में वर्णाश्रम व्यवस्था का विस्तृत विवरण है ! आज के संदर्भ में यह विवादास्पद लग सकता है लेकिन उस समय की सामाजिक संरचना को समझने के लिए यह महत्वपूर्ण है !
ब्रह्मचारी, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास यह जीवन के चरणों का बहुत तार्किक विभाजन है ! आज भी हम मूल रूप से यही करते हैं अध्ययन करते हैं, नौकरी करते हैं, परिवार बनाते हैं, फिर सेवानिवृत्ति के बाद शांतिपूर्ण जीवन जीते हैं !
विभिन्न जातियों के कर्तव्य भी स्पष्ट रूप से परिभाषित थे ! यह विशेषज्ञता की प्रणाली थी जो आज की व्यावसायिक श्रेणियों जैसी है !
क्यों आज भी प्रासंगिक है यह ग्रंथ ?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि इक्कीस ( 21 )वीं सदी में नारद पुराण क्यों पढ़ना चाहिए ? जवाब आसान है क्योंकि मानव स्वभाव नहीं बदलता ! तकनीक बदल जाती है, जीवनशैली बदल जाती है, लेकिन बुनियादी मानवीय समस्याएं वही रहती हैं !
तनाव, रिश्ते, करियर, स्वास्थ्य, आध्यात्म यह सब मुद्दे हमेशा से हैं ! नारद पुराण इन सबके लिए समय परीक्षित समाधान देता है ! एकादशी व्रत आज भी लाखों लोग करते हैं ! वास्तु के नियम संपत्ति व्यवसाय में अपनाए जाते हैं ! गणित और खगोलीय गणनाओं का आधार यहीं से आया है !
दैनिक जीवन में नारद पुराण के सिद्धांतों को कैसे लागू करें ? बहुत आसान है ! सुबह की दिनचर्या बनाएं जिसमें थोड़ी आध्यात्मिक साधना हो ! काम करते समय नैतिकता और मूल्यों को बनाए रखें ! पारिवारिक रिश्तों में प्रतिबद्धता और बलिदान की भावना रखें !
स्वास्थ्य के लिए समय समय पर उपवास करें यह वैज्ञानिक रूप से भी सिद्ध है ! पर्यावरण के साथ तालमेल बनाए रखें ! ज्ञान अर्जित करते रहें सिर्फ व्यावसायिक ज्ञान नहीं बल्कि समग्र ज्ञान !
नारद पुराण एक संपूर्ण जीवन पुस्तिका है ! यह सिर्फ धार्मिक पुस्तक नहीं है बल्कि एक व्यापक मार्गदर्शिका है जो जीवन के हर पहलू को शामिल करती है ! विज्ञान, गणित, वास्तुकला, मनोविज्ञान, समाजशास्त्र, पारिस्थितिकी सब कुछ है इसमें !
आज की तेज़ रफ्तार दुनिया में जब हम अपनी जड़ों से कटते जा रहे हैं तब ऐसे ग्रंथ हमें याद दिलाते हैं कि बुद्धिमत्ता हमेशा से हमारे पास थी ! बस उसे समझने और लागू करने की जरूरत है !
नारद पुराण की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह व्यावहारिक है ! यह सिर्फ सिद्धांत नहीं देता बल्कि चरणबद्ध मार्गदर्शन देता है ! चाहे आप विद्यार्थी हों, पेशेवर हों, व्यापारी हों, या गृहिणी इसमें सबके लिए कुछ न कुछ है !
तो अगली बार जब कोई कहे कि पुराने ग्रंथ पुराने हो गए हैं तो उन्हें नारद पुराण के बारे में बताइएगा ! यह साबित करेगा कि सच्ची बुद्धिमत्ता कभी पुरानी नहीं होती ! नारद पुराण सिर्फ धार्मिक ग्रंथ नहीं है, यह जीवन की किताब है !