लिंग पुराण : शिव भक्ति का अनमोल खजाना
मैने बचपन में इस्की कहानिया सुनी हे ! तब मन में सवाल आया था कि आखिर शिवलिंग का असली रहस्य क्या है ? क्यों सिर्फ एक पत्थर के टुकड़े की इतनी पूजा होती है ? फिर पता लगा की यह कोई साधारण पत्थर नहीं है ! यह तो उस परम शक्ति का प्रतीक है जो इस पूरे ब्रह्मांड को चलाती है !
आज जब हम इस तेजी से बदलती दुनिया में खुद को कहीं खोया हुआ महसूस करते हैं तब इस प्राचीन ग्रंथ की शिक्षाएं हमारे लिए एक मार्गदर्शक का काम करती हैं ! लिंग पुराण सिर्फ एक धार्मिक किताब नहीं है ! यह जीवन जीने की कला सिखाने वाला एक पूरा विश्वविद्यालय है !
लिंग पुराण की कहानी कुछ यूं है कि जब ब्रह्मा जी और विष्णु जी के बीच यह बहस छिड़ गई कि कौन श्रेष्ठ है तब भगवान शिव एक अनंत ज्योति स्तंभ के रूप में प्रकट हुए ! कल्पना कीजिए उस दृश्य की !
आसमान से धरती तक फैला हुआ एक अनंत प्रकाश स्तंभ ! न ब्रह्मा जी हंस पर बैठकर इसका आदि पा सके और न ही विष्णु जी वराह का रूप धारण करके इसका अंत खोज सके ! दोनों थक हारकर वापस आए ! तब शिव जी ने लिंग रूप में दर्शन दिए !
यहीं से शुरू होती है लिंग की महिमा की गाथा ! यह पुराण हमें बताता है कि लिंग का मतलब कोई भौतिक आकार नहीं है ! बल्कि यह तो उस परम तत्व का प्रतीक है जो सब कुछ में व्याप्त है ! जैसे एक छोटी सी मोमबत्ती पूरे कमरे को रोशन कर देती है वैसे ही लिंग उस अनंत प्रकाश का संकेत है !
जब आप लिंग पुराण को पहली बार देखते हैं तो इसकी विशालता से अचंभित रह जाते हैं ! ग्यारह हजार ( 11,000 ) श्लोक ! एक सौ तिरसठ ( 163 ) अध्याय ! यह कोई छोटी मोटी किताब नहीं है !
महर्षि व्यास ने जब इसे लिखा तो शायद उन्होंने सोचा होगा कि शिव की महिमा को बयान करने के लिए शब्द कम पड़ जाएंगे ! ठीक वैसे ही जैसे आज हम अपने प्रियजन की तारीफ करते समय कहते हैं ” शब्द कम पड़ जाते हैं उसके लिए ! “
पुराण दो हिस्सों में बांटा गया है ! पहला हिस्सा यानी पूर्वार्ध एक सौ आठ ( 108 ) अध्यायों में फैला है ! यह योग, सृष्टि की रचना, भूगोल, और खगोल विज्ञान की बात करता है ! दूसरा हिस्सा यानी उत्तरार्ध पचपन ( 55 ) अध्यायों में लिंग की महिमा, पाशुपत योग, और मोक्ष के साधनों पर केंद्रित है !
लिंग पुराण की सबसे दिलचस्प बात है बारह ( 12 ) ज्योतिर्लिंगों की कहानी ! भारत के कोने कोने में फैले ये पवित्र स्थान सिर्फ मंदिर नहीं हैं ! ये तो आध्यात्मिक ऊर्जा के पावर हाउस हैं !
गुजरात का सोमनाथ समुद्र के किनारे खड़ा होकर मानो कह रहा है ” आओ मैं तुम्हें अनंत का दर्शन कराता हूं ! ” हिमालय की बर्फीली चोटियों के बीच केदारनाथ जब नजर आता है तो लगता है मानो पूरा हिमालय ही शिव का रूप धारण कर हमारे सामने खड़ा है ! सफेद बर्फ, नीला आसमान, और बीच में स्वर्णिम मंदिर यह दृश्य दिल को छू जाता है !
काशी विश्वनाथ की बात ही और है ! गंगा के घाट, शाम की आरती, घंटों की आवाज, और बीच में विश्वनाथ जी के दर्शन ! यहां आकर लगता है जैसे समय रुक गया हो ! पूरी काशी में एक अजीब सी दिव्यता तैरती रहती है !
सोमनाथ की कहानी सुनकर तो मन भर आता है ! चंद्रदेव को श्राप मिला था कि वे हर दिन क्षीण होते जाएंगे ! जब उन्होंने शिव जी की आराधना की तो भगवान ने दया दिखाई ! कहा हां, तुम क्षीण होओगे लेकिन फिर से बढ़ भी जाओगे ! इसीलिए चांद घटता बढ़ता रहता है ! यह कितनी सुंदर व्याख्या है प्राकृतिक घटना की !
लिंग पुराण सिर्फ कहानियों का संग्रह नहीं है ! यह आज की कॉर्पोरेट दुनिया के तनाव से निपटने का भी तरीका सिखाता है ! योग के पांच तरीके बताए गए हैं ! हर तरीका अलग स्वभाव के लोगों के लिए है !
मंत्र योग उनके लिए है जो शब्दों की शक्ति में विश्वास करते हैं ! ” ओम नमः शिवाय ” का जाप करते करते मन शांत हो जाता है ! वैसे ही जैसे अपना पसंदीदा गाना सुनकर मूड अच्छा हो जाता है !
स्पर्श योग में आसन और प्राणायाम की बात है ! यह उनके लिए है जो शरीर के जरिए मन को काबू करना चाहते हैं ! आज जब हम जिम जाते हैं या योगा क्लास करते हैं तो वह भी एक तरह का स्पर्श योग ही है !
भाव योग सबसे आसान है ! इसमें मानसिक पूजा की बात है ! बिना किसी बाहरी सामग्री के सिर्फ भावना से शिव की आराधना करना ! ठीक वैसे जैसे हम अपनी मां को दूर से याद करके उनका प्यार महसूस करते हैं !
सबसे दिलचस्प है अभाव योग ! इसमें कहा गया है कि इस पूरे संसार को मिथ्या मानकर साधना करनी चाहिए ! यह बात सुनने में अजीब लगती है ! लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जिम्मेदारियों से भाग जाओ ! इसका मतलब है कि संसार में रहकर भी उससे जुड़ाव न रखो ! जैसे कमल का फूल पानी में रहकर भी पानी से भीगता नहीं !
आज के सोशल मीडिया के जमाने में यह और भी जरूरी हो गया है ! इंस्टाग्राम पर लाइक देखकर खुश होना या फेसबुक पर टिप्पणियाँ पढ़कर परेशान होना यह सब अभाव योग के विपरीत है !
लिंग पुराण में शिव के 28 अवतारों का वर्णन है ! हर अवतार का एक खास मकसद है ! आज भी जब कोई व्यक्ति मुश्किल में फंसता है तो इन अवतारों की शिक्षा काम आती है !
पिप्पलाद अवतार में शनि के दोष से मुक्ति का उपाय बताया गया ! आज जब हम कहते हैं कि ” शनि खराब चल रहा है ” तो यह अवतार याद आता है ! वीरभद्र अवतार में अन्याय के खिलाफ उठ खड़े होने की शिक्षा है ! आज जब समाज में कोई भ्रष्टाचार होता है तो वीरभद्र की तरह आवाज उठानी चाहिए !
किरात अवतार में अर्जुन को पाशुपत अस्त्र देकर धर्म की रक्षा के लिए शक्ति प्रदान की ! आज भी जब हम किसी अच्छे काम के लिए हिम्मत जुटाते हैं तो यह शक्ति वहीं से आती है !
लिंग पुराण की एक और खासियत है इसमें दी गई सृष्टि की रचना की व्याख्या ! आज जब हम बिग बैंग थ्योरी की बात करते हैं तो लगता है कि हजारों साल पहले हमारे ऋषियों ने भी कुछ इसी तरह की बात कही थी !
पहले शून्य था ! फिर आकाश बना ! फिर वायु, अग्नि, जल, और अंत में पृथ्वी ! यह अनुक्रम बिल्कुल वैज्ञानिक है !
पुराण में भारत के भूगोल का भी विस्तृत वर्णन है ! सात द्वीप, विभिन्न पर्वत श्रृंखलाएं, नदियों का प्रवाह ! सब कुछ इतनी बारीकी से बताया गया है कि लगता है जैसे किसी भूगोलवेत्ता ने उपग्रह से देखकर लिखा हो !
नक्षत्रों की स्थिति, ग्रहों की चाल, सूर्य और चंद्र की गति ! इन सब विषयों पर इतनी सटीक जानकारी है कि आज के नासा के वैज्ञानिक भी दंग रह जाएं ! यह सब कुछ आज से हजारों साल पहले लिखा गया था जब न दूरबीन थी न उपग्रहन, न कंप्यूटर !
आज के तनावपूर्ण जमाने में लिंग पुराण की शिक्षाएं और भी प्रासंगिक हो गई हैं ! जब हम नौ ( 9 ) से पाँच ( 5 ) की नौकरी में फंसे रहते हैं, यातायात में अटके रहते हैं और परेशान हो जाते हैं तब पुराण में दिए गए योग के तरीके एक कारगर इलाज साबित होते हैं !
प्राणायाम, ध्यान, और मंत्र जाप ये सब आज भी उतने ही प्रभावी हैं जितने हजारों साल पहले थे ! जब चिंता का दौरा आता है तब ” ओम नमः शिवाय ” का जाप करके देखिए ! मानसिक स्वास्थ्य के लिए यह किसी चिकित्सा से कम नहीं है !
पर्यावरण संरक्षण की बात हो या फिर सामाजिक सद्भावना की, लिंग पुराण में सब कुछ मिलता है ! प्रकृति को देवता मानने की परंपरा आज जलवायु परिवर्तन के दौर में कितनी जरूरी है ! पेड़ पौधों का महत्व, जीव जंतुओं के प्रति दया ये सब आज के पर्यावरण कार्यकर्ता कहते हैं !
लिंग पुराण सिर्फ आध्यात्मिकता की बात नहीं करता बल्कि व्यावहारिक नैतिकता भी सिखाता है ! सच बोलना, दूसरों की मदद करना, अहिंसा का पालन करना, क्षमा करना ये सब गुण इंसान को महान बनाते हैं !
पुराण कहता है कि असली पूजा यह नहीं है कि आप मंदिर में कितने घंटे बिताते हैं ! बल्कि यह है कि आप दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं ! आज के सोशल मीडिया के जमाने में यह बात और भी महत्वपूर्ण हो गई है !
लिंग पुराण की भाषा में एक अलग ही माधुर्य है ! संस्कृत के श्लोक इतने सुंदर हैं कि उन्हें पढ़ते समय मन में एक अजीब सी शांति आ जाती है ! हर श्लोक में गहरा दर्शन छुपा हुआ है !
कहीं कहीं तो लगता है कि यह कोई कविता पढ़ रहे हैं ! कोई धार्मिक ग्रंथ नहीं ! शब्दों का जादू इतना प्रभावी है कि अर्थ समझे बिना भी मन को सुकून मिलता है ! यही तो है संस्कृत की खासियत !
मैंने जब पहली बार किसी प्राचीन मंदिर में शिवलिंग के सामने खड़ा होकर आंखें बंद कीं तो एक अजीब सा एहसास हुआ ! लगा जैसे कोई अदृश्य ऊर्जा मेरे चारों ओर घूम रही है ! न कोई आवाज थी न कोई दिखाई देने वाली चीज ! बस एक शांति थी ! एक सुकून था !
उस दिन समझ आया कि शिवलिंग की पूजा में जो बात है वह किसी पुस्तक में नहीं मिल सकती ! वह सिर्फ अनुभव से आती है ! लिंग पुराण की हर कहानी, हर शिक्षा उस एक क्षण में साकार हो गई थी !
लिंग पुराण का सबसे बड़ा संदेश यह है कि भगवान कहीं दूर नहीं हैं ! वे हमारे अंदर ही विराजमान हैं ! लिंग की पूजा का मतलब किसी पत्थर की पूजा नहीं है ! बल्कि अपने अंदर के दिव्य तत्व को पहचानना है !
जब हम अपने अंदर के शिव को जगाते हैं तब जाकर बाहर के शिव के दर्शन होते हैं ! यह पुराण हमें यह भी सिखाता है कि धर्म कोई बंधन नहीं है ! बल्कि मुक्ति का साधन है ! सच्चा धर्म वह है जो हमें बेहतर इंसान बनाए !
आज जब दुनिया में इतनी नफरत और हिंसा है तब लिंग पुराण की शिक्षाएं एक मरहम का काम करती हैं ! यह हमें याद दिलाता है कि सब कुछ में वही एक तत्व व्याप्त है ! जब यह एहसास हो जाता है तो फिर किसी से नफरत कैसे कर सकते हैं ?
शायद अगली बार जब आप किसी शिवलिंग के सामने खड़े होंगे तो आपको यह एहसास होगा कि यह पत्थर नहीं है ! बल्कि आपके अंदर छुपे उस परम तत्व का प्रतीक है जो आपको शक्ति देता है ! जो आपको प्रेम करना सिखाता है ! और जो आपको यह विश्वास दिलाता है कि आप अकेले नहीं हैं !
लिंग पुराण सिर्फ एक किताब नहीं है ! यह जीवन जीने का एक तरीका है ! खुशी पाने का एक रास्ता है ! और सबसे बढ़कर अपने असली स्वरूप को पहचानने का एक साधन है !