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108 उपनिषद हिंदी में

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उपनिषद: एक परिचय

हिंदू धर्म में वेद, पुराण, रामायण, भगवद गीता, महाभारत और रामचरितमानस जैसे धर्मग्रंथों का जो महत्व है, वही स्थान उपनिषदों का भी है। उपनिषद सनातन धर्म के महत्वपूर्ण श्रुति ग्रंथ हैं और इन्हें वेदांत भी कहा जाता है। उपनिषदों की कुल संख्या 108 है। शंकराचार्य के अनुसार, उपनिषद का मुख्य अर्थ ब्रह्मविद्या है और गौण अर्थ ब्रह्मविद्या का प्रतिपादक ग्रंथ होता है।

उपनिषद का व्युत्पत्ति और अर्थ

‘उपनिषद’ शब्द का निर्माण ‘उप’ (समीप), ‘नि’ (नीचे) और ‘सद्’ (बैठना) धातु से हुआ है। इसका शाब्दिक अर्थ है—गुरु के समीप बैठकर शिक्षा प्राप्त करना।
‘सद्’ धातु के तीन प्रमुख अर्थ हैं:

  1. विशरण (नाश होना),
  2. गति (प्राप्ति),
  3. अवसादन (शिथिल होना)।

पारिभाषिक रूप से, उपनिषद को अध्यात्मविद्या कहा गया है। इसका अध्ययन करने से मुमुक्षु (मुक्ति चाहने वाले) लोग संसार की जड़ अविद्या का नाश कर सकते हैं।


मुख्य 13 उपनिषद

हालांकि उपनिषदों की कुल संख्या 108 मानी जाती है, लेकिन अधिकांश विद्वान 13 उपनिषदों को प्रमुख मानते हैं:

  1. ईशावास्य उपनिषद
  2. केनोपनिषद
  3. कठोपनिषद
  4. प्रश्नोपनिषद
  5. मुण्डकोपनिषद
  6. माण्डूक्य उपनिषद
  7. तैत्तरीय उपनिषद
  8. ऐतरेय उपनिषद
  9. छान्दोग्य उपनिषद
  10. बृहदारण्यक उपनिषद
  11. श्वेताश्वतर उपनिषद
  12. कौशीतकी उपनिषद
  13. मैत्रायणी उपनिषद

उपनिषदों का रचना काल

उपनिषद वेदों का आंतरिक भाग माने जाते हैं। इसलिए वेदों के निर्माण का समय ही उपनिषदों का भी माना जाता है।

  1. पश्चिमी विद्वानों के अनुसार, उपनिषदों का रचना काल ईसा पूर्व 700 से 600 के बीच रखा गया है।
  2. लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने खगोलशास्त्र के आधार पर यह प्रमाणित किया कि उपनिषदों का रचना काल ईसा पूर्व 1900 होना चाहिए।

उपनिषदों का महत्व

  • उपनिषद अध्यात्म, ब्रह्मज्ञान और आत्मा के गूढ़ रहस्यों को समझाते हैं।
  • इनमें वेदांत के अद्वैत और भक्ति जैसे सिद्धांतों की व्याख्या की गई है।
  • उपनिषद ज्ञान, भक्ति और कर्म के समन्वय का सन्देश देते हैं।

उपनिषद का उद्देश्य

उपनिषदों का अध्ययन आत्मा और परमात्मा के संबंध को जानने के लिए किया जाता है। यह संसार के मोह, माया और अज्ञान का नाश करने तथा जीवन में मोक्ष प्राप्ति का मार्ग दिखाता है।

अतः उपनिषद भारतीय दर्शन और संस्कृति का आधारभूत स्तंभ हैं, जो हमें अध्यात्म और ज्ञान के उच्च शिखर तक ले जाते हैं।

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