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Toggleजैसा कि आप सभी जानते हैं कि सनातन धर्म में वेद चार प्रकार के होते हैं
1. ऋग्वेद 2. यजुर्वेद 3. सामवेद 4. अथर्ववेद
लेकिन आज हम इस लेख में ऋग्वेद के बारे में बात करेंगे !
ऋग्वेद दुनिया का सबसे प्राचीन एवं मानवता का पहला धर्म ग्रंथ है ऋग्वेद चारों वेदों में सबसे बड़ा और सबसे प्राचीन वेद है बाकी तीनों वेदों ( यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद ) की उत्पत्ति ऋग्वेद से ही हुई है –
ऋग्वेद में 10 मंडल है सरल भाषा में गए तो ऋग्वेद में कुल 10 अध्याय है चारों वेदों की मूल भाषा संस्कृत है जो कई भारतीय भाषाओं की जननी है ऋग्वेद में कुल 1028 सुक्त है अगर सरल भाषा में कहा जाएं तो मंत्रों के समूह को सूक्त कहा जाता है
ऋग्वेद में कुल 10600 मंत्र है प्रसिद्ध ध्यान मंत्र गायत्री मंत्र को ऋग्वेद से ही लिया गया है –
ऋग्वेद की रचना –
ऋग्वेद की रचना एक व्यक्ति ने नहीं की है, बल्कि यह विभिन्न ऋषियों द्वारा विभिन्न कालों में रचे गए मंत्रों का एक संग्रह है
जिसका संकलन महर्षि वेदव्यास ने संकलित किया था
इसलिए, हम कह सकते हैं कि ऋग्वेद के ‘रचयिता’ कई ऋषि हैं,तथा महर्षि वेदव्यास इसके ‘संकलनकर्ता’ हैं यानी अगर सरल भाषा में कहा जाये तो पहले ऋग्वेद एक ही था महर्षि वेदव्यास जनमानस की सुलभता के लिए इसका विभाजन 3 और भागों में किया जिसे हम यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद के रूप में जानते हैं
ऋग्वेद के मंत्रों का पाठ आज भी यज्ञों और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है – ऋग्वेद में वर्णित यज्ञों का विशेष महत्व है और इन्हें वैदिक संस्कृति का एक अभिन्न अंग माना जाता है
ऋग्वेद में देवताओं की पूजा किसी मूर्ति या मंदिर में नहीं की जाती यानी सरल भाषा में कहें तो ऋग्वेद में मुर्ती पुजा का उल्लेख नहीं है बल्कि यज्ञों और स्तुतियों के माध्यम से की जाती थी
ऋग्वेद में देवताओं के रूप में इंद्र, अग्नि, सुर्य, सोम, वायु, वरूण और शिव के रूद्र रूप और विष्णु का उल्लेख मिलता है और देवीयों के रूप में अदिति, पृथ्वी, और सरस्वती का उल्लेख मिलता है
अगर ऋग्वेद के बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो हम बहुत ही जल्द ऋग्वेद की एक नोट्स तैयार करेंगे तब तक हमारे साथ बनें रहें और हमारे आर्थिक सहयोग करें हम प्रत्येक हिन्दू धर्म ग्रंथों का निचोड़ एक E Book के माध्यम से आपके समक्ष लायेंगे –