भागवत पुराण : भारतीय आध्यात्म की अमूल्य धरोहर
जब भी मैं भागवत पुराण की बात करता हूं तो मेरे मन में बचपन की वे शामें याद आ जाती हैं जब मेरे घर के आंगन में दीया जलाकर कृष्ण की लीलाओं की कहानियां सुनाया जाति थीं ! वे कहानियां सिर्फ कहानियां नहीं थीं… बल्कि शायद जीवन जीने का एक तरीका थीं ! आज जब मैं श्रीमद्भागवतम् के गहरे अध्ययन के बाद इस लेख को लिख रहा हूं तो समझ आता है कि क्यों यह ग्रंथ हजारों सालों से भारतीय मानस की आत्मा का हिस्सा बना हुआ है !
सच बताऊं तो पहली बार जब मैंने पूरा भागवत पुराण पढ़ने की कोशिश की थी तो थोड़ा डर लग रहा था ! अठारह हजार ( 18,000 ) श्लोक… यह संख्या ही काफी भारी लगती है न ? लेकिन जैसे ही मैंने पहला स्कंध खोला और पढ़ना शुरू किया तो पता चला कि यह तो वैसा ही है जैसे कोई दोस्त बैठकर कहानी सुना रहा हो !
एक महान ग्रंथ का जन्म
भागवत पुराण की उत्पत्ति की कहानी… यह तो अपने आप में एक पूरी फिल्म है ! कहते हैं कि महर्षि व्यास जी ने वेदों का संकलन किया, महाभारत जैसे महाकाव्य की रचना की, अनेक पुराणों को लिखा ! लेकिन फिर भी… फिर भी उनके मन में एक अजीब सी बेचैनी थी !
यह वही स्थिति है जो आज हमारे साथ होती है ना जब हमने बहुत कुछ हासिल कर लिया हो, लेकिन फिर भी मन में संतुष्टि न हो ! मुझे लगता है व्यास जी भी कुछ ऐसा ही महसूस कर रहे थे !
व्यास जी की इस मानसिक दशा को समझकर देवर्षि नारद ने उन्हें समझाया कि उनके सभी ग्रंथों में एक चीज़ की कमी है भगवान के प्रति शुद्ध प्रेम और भक्ति का रस ! यह सुनकर व्यास जी ने समाधि लगाई और उन्हें अनुभव हुआ कि सच में उनके पहले के कार्यों में कहीं न कहीं यह मिठास गायब थी ! इसी प्रेरणा से उन्होंने भागवत पुराण की रचना की !
दिलचस्प बात यह है कि जिस तरह आज हम अपने बच्चों को कहानियां सुनाते हैं उसी तरह व्यास जी ने पहले अपने पुत्र शुकदेव को यह पूरा ग्रंथ सुनाया ! बाद में शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को गंगा के किनारे सात दिनों में पूरी भागवत कथा सुनाई !
यह परंपरा आज भी जारी है !
हमारे घरों में, मंदिरों में, और सत्संग की महफिलों में यही तो चलता रहता है ! कल ही मैंने एक भागवत कथा में जाकर देखा वहां छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी बैठे थे ! और सबके चेहरे पर वही मुस्कान… वही शांति !
जब मैं लोगों से कहता हूं कि भागवत पुराण में लगभग अठारह हजार ( 18,000 ) श्लोक हैं तो वे चौंक जाते हैं ! लेकिन इन श्लोकों को पढ़ते समय ऐसा नहीं लगता कि यह कोई भारी भरकम ग्रंथ है ! इसकी भाषा… इसकी भाषा इतनी मधुर और प्रवाहमान है कि पढ़ने वाला इसमें खो जाता है !
यह पूरा ग्रंथ बारह ( 12 ) स्कंधों में बांटा गया है जिन्हें कांटो भी कहते हैं ! हर स्कंध का अपना विशेष स्वाद है ! पहले स्कंध में जब नैमिषारण्य के ऋषि इकट्ठे होकर भगवान की कथा सुनने की इच्छा प्रकट करते हैं तो लगता है जैसे हम भी उस सभा का हिस्सा हैं !
दसवां स्कंध – कृष्ण की अद्भुत दुनिया
अब बात करते हैं दसवें स्कंध की… यह तो सच में कमाल का है ! 90 अध्याय सिर्फ कृष्ण की लीलाओं पर ! जब भी मैं इसे पढ़ता हूं तो लगता है जैसे मैं वृंदावन की गलियों में घूम रहा हूं ! कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णान इतना जीवंत है कि आंखों के सामने सारे दृश्य साकार हो जाते हैं !
पहली बार जब मैंने कृष्ण जन्म की कथा संपूर्ण रूप से पढ़ी तो सच कहूं तो आँखों में आंसू आ गए ! जब यशोदा मैया छोटे कृष्ण को माखन चुराते हुए पकड़ती हैं तो उनकी ममता और कृष्ण की मासूमियत का जो चित्रण है… वह किसी भी मां के दिल को छू जाता है !
भागवत कथा सुनते समय मैंने देखा है गाँव की औरतें चुपचाप बैठकर रोने लगती हैं जब कृष्ण के बचपन के किस्से आते हैं ! वह दृश्य आज भी याद है ! शायद इसीलिए कहते हैं कि भागवत सिर्फ किताब नहीं है एक अनुभव है !
रासलीला के अध्याय पढ़ते समय शुरू में थोड़ी हिचकिचाहट होती है… लेकिन जैसे जैसे इसकी गहराई में जाते हैं समझ आता है कि यह सिर्फ लीला नहीं है ! यह तो आत्मा और परमात्मा के बीच के प्रेम का प्रतीक है ! गोपियों का कृष्ण के लिए जो प्रेम है वह दरअसल हमारी आत्मा का अपने स्रोत के लिए प्रेम है !
गोपी गीत के अध्याय में जब गोपियां कृष्ण के वियोग में तड़पती हैं और हर पेड़, हर पत्ते से उसका हाल पूछती हैं… यह दिखाता है कि सच्चा प्रेम कैसा होता है ! यह वही प्रेम है जो एक भक्त का अपने इष्ट के लिए होता है !
कभी कभी तो लगता है… शायद यह ग्रंथ सिर्फ़ कहानी नहीं बल्कि अपनेपन का आईना है !
भागवत पुराण ने भक्ति की जो परिभाषा दी है वह पहले के सभी ग्रंथों से अलग है ! यहाँ कहा गया है कि भक्ति कोई साधन नहीं है मोक्ष पाने का बल्कि भक्ति खुद ही लक्ष्य है ! यह बात पहले समझ नहीं आती थी लेकिन जब जीवन में कुछ अनुभव हुए, तब समझ आया !
जैसे एक मां अपने बच्चे से प्रेम इसलिए नहीं करती कि उससे कुछ मिलेगा बल्कि प्रेम ही उसका स्वभाव है, वैसे ही भक्ति भी निस्वार्थ होनी चाहिए ! भागवत में इसे ” अहैतुकी भक्ति ” कहा गया है बिना किसी कारण की भक्ति !
यह ग्रंथ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के पारंपरिक चार पुरुषार्थों से ऊपर उठकर पांचवें पुरुषार्थ ” भक्ति ” की स्थापना करता है ! यहां स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जो धर्म छल कपट से भरा हो, वह धर्म नहीं है !
आज के समय में भागवत का जादू
आज के भागदौड़ भरे जमाने में जब हम तनाव और चिंता से घिरे रहते हैं तब भागवत पुराण की शिक्षाएं… सच बताऊं तो ये और भी महत्वपूर्ण हो जाती हैं ! मैंने देखा है कि जो लोग नियमित रूप से भागवत का अध्ययन करते हैं उनमें एक अलग तरह की शांति और संतुष्टि दिखती है !
प्रह्लाद की कहानी आज के बच्चों को सिखाती है कि गलत का विरोध कैसे करना चाहिए ! ध्रुव की कहानी दिखाती है कि दृढ़ संकल्प से क्या कुछ नहीं मिल सकता ! अजामिल की कहानी… यह तो कमाल की है ! यह बताती है कि भगवान का नाम लेने से कितनी बड़ी से बड़ी गलती भी माफ हो सकती है !
मेरे एक दोस्त हैं बहुत टेंशन में रहते थे, नौकरी का प्रेशर, घर की समस्याएं ! फिर उन्होंने भागवत पढ़ना शुरू किया ! अब वही इंसान देखिए तो… इतना शांत और खुश रहता है ! कहता है ” यार, कृष्ण की लीलाएं पढ़ने के बाद लगता है कि जिंदगी की सारी परेशानियां छोटी हैं ! “
आधुनिक मनोविज्ञान की भाषा में कहें तो भागवत पुराण एक बेहतरीन थेरेपी है ! जब हम कृष्ण की लीलाओं को पढ़ते हैं तो हमारा मन नकारात्मक विचारों से हटकर सकारात्मक दिशा में जाता है !
यह बात वैज्ञानिक रूप से भी सिद्ध है कि अच्छी और प्रेरणादायक कहानियां हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं !
भागवत पुराण का प्रभाव सिर्फ धर्म तक सीमित नहीं रहा है ! इसने भारतीय कला, संगीत, नृत्य, और साहित्य को गहराई से प्रभावित किया है ! आज भी हमारे शास्त्रीय संगीत में कृष्ण के भजन और कीर्तन की प्रधानता है !
मीरा, सूरदास, तुलसीदास जैसे महान संत कवियों ने भागवत से प्रेरणा लेकर अमर काव्य की रचना की ! आज भी जब हम ” गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो ” या ” हरे कृष्ण हरे कृष्ण ” जैसे कीर्तन सुनते हैं तो यह सब भागवत परंपरा का ही विस्तार है !
भारत के विभिन्न हिस्सों में कृष्ण से जुड़े त्योहार मनाए जाते हैं जन्माष्टमी, होली, गोवर्धन पूजा ! ये सब भागवत पुराण से ही आए हैं ! इन त्योहारों में जो खुशी और उत्साह दिखता है वह इस बात का प्रमाण है कि यह ग्रंथ आज भी कितना जीवंत है !
व्यावहारिक जीवन में भागवत की मिठास
मैंने अपने जीवन में देखा है कि भागवत की शिक्षाओं को अपनाने से रिश्तों में मधुरता आती है ! जब हम निस्वार्थ सेवा की भावना रखते हैं तो घर का माहौल बदल जाता है ! जब हम दूसरों की गलतियों को माफ करना सीख जाते हैं तो मन में बोझ कम हो जाता है !
कृष्ण की लीलाओं से हमें यह सिखने को मिलता है कि जीवन को कैसे खेल की तरह जीना चाहिए ! गंभीरता जरूरी है लेकिन हर बात को दिल पर लेकर परेशान होना जरूरी नहीं !
कृष्ण की मुस्कान… वही मुस्कान जो हर परिस्थिति में हमें संभाल लेती है ! वही मुस्कान जो जीवन का सबसे बड़ा संदेश है !
भागवत से यह भी सिखने को मिलता है कि सत्संग कितना महत्वपूर्ण है ! जब हम अच्छे लोगों के साथ रहते हैं, अच्छी बातें सुनते हैं तो हमारी सोच भी अच्छी हो जाती है ! यही कारण है कि आज भी भागवत कथा के कार्यक्रम इतने लोकप्रिय हैं !
भागवत पुराण की भाषा अद्भुत है ! संस्कृत में लिखा गया यह ग्रंथ इतना सुंदर है कि इसे पढ़ना एक कलात्मक अनुभव है ! हर श्लोक में छंद की मधुरता है, शब्दों का चुनाव बेजोड़ है !
जो लोग संस्कृत नहीं जानते वे भी हिंदी अनुवाद पढ़कर इसका आनंद ले सकते हैं ! गीता प्रेस गोरखपुर का अनुवाद बहुत सरल और सुंदर है ! आज कल तो ऑडियो बुक्स भी उपलब्ध हैं !
जैसा बचपन में सुना था कि जो बच्चे बचपन से भागवत की कहानियां सुनते हैं उनकी भाषा और व्यक्तित्व में एक अलग निखार आता है ! वे बोलते समय अच्छे शब्दों का प्रयोग करते हैं और उनके व्यवहार में संस्कार दिखते हैं !
आधुनिक समस्याओं का समाधान भागवत में
आज के समय की कई समस्याओं का समाधान भागवत पुराण में मिलता है ! पर्यावरण संरक्षण की बात करें तो कृष्ण का गोवर्धन उठाना यह दिखाता है कि प्रकृति की रक्षा कैसे करनी चाहिए ! जब इंद्र ने गुस्से में मूसलाधार बारिश की तो कृष्ण ने पूरे गोकुल को बचाने के लिए पर्वत उठा लिया !
आज जब हमारे पास तकनीक का भंडार है लेकिन खुशी नहीं है तब भागवत का संदेश और भी महत्वपूर्ण हो जाता है ! यह बताता है कि सच्ची खुशी बाहरी चीजों में नहीं बल्कि अंदर के प्रेम में है !
महिलाओं के सम्मान की बात करें तो भागवत में गोपियों का जो सम्मान दिखाया गया है वह आज भी प्रेरणादायक है ! यशोदा मैया, राधा जी, और सभी गोपियों को कृष्ण से भी ऊंचा दर्जा दिया गया है !
एक जीवंत परंपरा का निष्कर्ष
भागवत पुराण कोई पुराना ग्रंथ नहीं है जो अलमारी में रखकर भूल जाने वाला हो ! यह एक जीवंत परंपरा है ! एक जीवंत परंपरा जो आज भी हमारे जीवन में उतनी ही प्रासंगिक है जितनी हजारों साल पहले थी !
मुझे लगता है इसकी कहानियां, इसकी शिक्षाएं, और इसका संदेश आज भी हमारे काम आते हैं ! मैं यह नहीं कहूंगा कि भागवत पुराण को पढ़ना आसान है ! इसके कुछ हिस्से गहरे हैं, कुछ दार्शनिक हैं !
लेकिन अगर धैर्य रखकर इसे पढ़ा जाए तो यह जीवन बदल देने वाला अनुभव है !
आज जब हम अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देना चाहते हैं तो भागवत से बेहतर कोई साधन नहीं है ! इसकी कहानियां बच्चों को अच्छे बुरे की पहचान सिखाती हैं ! इसके सिद्धांत हमें बेहतर इंसान बनाते हैं !
भागवत पुराण सिर्फ एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है बल्कि मानवता का खजाना है ! इसमें जीवन जीने की कला है, प्रेम करने का तरीका है, और खुश रहने का राज है ! यह ग्रंथ हमें याद दिलाता है कि चाहे दुनिया कितनी भी बदल जाए इंसानी रिश्तों की मिठास और प्रेम की शक्ति हमेशा वैसी ही रहेगी !
इसीलिए सच बताऊं तो मैं कहता हूं कि भागवत पुराण केवल पढ़ने की चीज नहीं है बल्कि जीने की चीज है ! यह हमारे अंदर के कृष्ण को जगाता है ! वही कृष्ण जो हमें वह खुशी देता है जिसकी तलाश में हम भटकते रहते हैं !