अथर्ववेद सनातन धर्म के चार वेदों में से चौथा वेद है। यह वेद अन्य तीन वेदों (ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद) से भिन्न है, क्योंकि इसमें जादू-टोना, तंत्र-मंत्र, और रोगों के निवारण के मंत्रों का वर्णन है।
अथर्ववेद का परिचय:
नाम का अर्थ: “अथर्व” शब्द का अर्थ है “जादूगर” या “पुरोहित”। इसलिए, अथर्ववेद को “जादूगरों का वेद” भी कहा जाता है।
रचना: अथर्ववेद की रचना अथर्वन ऋषि ने की थी।
संरचना: अथर्ववेद में 20 कांड, 731 सूक्त और लगभग 6,000 मंत्र हैं।
भाषा: अथर्ववेद की भाषा संस्कृत है, लेकिन यह अन्य वेदों की तुलना में कुछ सरल और लोकप्रिय है।
अथर्ववेद का इतिहास और महत्व:
अथर्ववेद को सबसे बाद में संकलित किया गया माना जाता है, लेकिन इसकी रचनाएँ बहुत प्राचीन हैं।
इसे वैदिक काल में सामान्य जनजीवन के लिए उपयोगी माना जाता था।
इसमें देवताओं की स्तुति के साथ-साथ रोग निवारण, शत्रु पर विजय, और सुख-शांति के लिए मंत्र शामिल हैं।
इसे “लौकिक वेद” भी कहा जाता है, क्योंकि यह आम लोगों के जीवन से सीधे जुड़ा हुआ है।
अथर्ववेद की विषय-वस्तु:
अथर्ववेद में विभिन्न विषयों पर मंत्र हैं, जिनमें शामिल हैं:
चिकित्सा और स्वास्थ्य: विभिन्न रोगों के इलाज के लिए मंत्र और औषधियों का वर्णन।
जादू-टोना: शत्रुओं से रक्षा, बुरी नजर से बचाव, और अभिचार (काला जादू) के मंत्र।
सामाजिक जीवन: विवाह, संतान प्राप्ति, धन-समृद्धि और पारिवारिक सुख के लिए प्रार्थनाएँ।
आध्यात्मिकता: ब्रह्मांड, सृष्टि और आत्मा के बारे में दार्शनिक विचार।
प्रकृति और देवता: सूर्य, अग्नि, वायु, पृथ्वी आदि की स्तुति।
अथर्ववेद और आयुर्वेद:
अथर्ववेद को आयुर्वेद का मूल स्रोत माना जाता है। इसमें जड़ी-बूटियों, प्राकृतिक उपचार और मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित कई मंत्र और विधियाँ दी गई हैं। यह चिकित्सा विज्ञान के प्राचीन रूप को दर्शाता है।
अन्य वेदों से अंतर:
ऋग्वेद: मुख्य रूप से देवताओं की स्तुति और यज्ञ पर केंद्रित।
सामवेद: संगीत और यज्ञ के मंत्रों का संग्रह।
यजुर्वेद: यज्ञ की प्रक्रियाओं और कर्मकांड पर जोर।
अथर्ववेद: दैनिक जीवन, चिकित्सा और जादुई पहलुओं पर ध्यान।
आधुनिक संदर्भ में अथर्ववेद:
आज के समय में अथर्ववेद का अध्ययन मुख्य रूप से वैदिक विद्वानों और शोधकर्ताओं द्वारा किया जाता है। इसके मंत्रों का उपयोग अभी भी कुछ धार्मिक अनुष्ठानों, विशेष रूप से शांति पाठ और रक्षा के लिए किया जाता है। साथ ही, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा में रुचि रखने वाले लोग इसे एक महत्वपूर्ण स्रोत मानते हैं।
जय सनातन धर्म! जय जगत