श्रीभागवत महापुराण E Book हिंदी में – Shri Bhagvat Mahapuran PDF in Hindi

श्रीमद्भागवत महापुराण हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र ग्रंथों में से एक है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण की महिमा का वर्णन किया गया है। यह 18 प्रमुख पुराणों (महापुराणों) में से एक है, जिन्हें वेदव्यास द्वारा संकलित किया गया है। भागवत पुराण न केवल धार्मिक बल्कि दार्शनिक, सांस्कृतिक और नैतिक शिक्षाओं का भी भंडार है।

विस्तृत जानकारी:-
1. संरचना:-
स्कंध: भागवत महापुराण 12 स्कंधों (खंडों) में विभाजित है।

अध्याय: इसमें कुल 335 अध्याय हैं।

श्लोक: लगभग 18,000 श्लोक हैं, हालांकि यह संख्या विभिन्न संस्करणों में थोड़ी भिन्न हो सकती है। प्रत्येक स्कंध अलग-अलग विषयों पर केंद्रित है, जैसे सृष्टि का वर्णन, भक्ति मार्ग, अवतारों की कथाएं और मोक्ष का दर्शन।

2. प्रमुख विषय:-
भक्ति योग: यह ग्रंथ भक्ति को मोक्ष का सर्वोत्तम मार्ग बताता है। श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम और समर्पण इसकी मुख्य शिक्षा है।

सृष्टि और संहार: प्रथम और द्वितीय स्कंध में सृष्टि की उत्पत्ति, ब्रह्मांड की संरचना और प्रलय का वर्णन है।

अवतार कथाएं: दशम स्कंध में भगवान कृष्ण की लीलाओं का विस्तृत वर्णन है, जो सबसे लोकप्रिय हिस्सा है। इसके अलावा, अन्य अवतार जैसे वराह, नृसिंह, राम आदि का भी उल्लेख है।

दार्शनिक चर्चा: एकादश स्कंध में भगवान कृष्ण द्वारा उद्धव को दिया गया उपदेश (उद्धव गीता) दर्शन और अध्यात्म का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करता है।

3. स्कंधों का संक्षिप्त विवरण:-
प्रथम स्कंध: सृष्टि की उत्पत्ति, शौनक आदि ऋषियों द्वारा सूतजी से भागवत कथा सुनने की प्रेरणा।

द्वितीय स्कंध: ब्रह्मांड का वर्णन, भगवान के विश्वरूप का चित्रण।

तृतीय स्कंध: विदुर-मैत्रेय संवाद, कपिल मुनि का संन्यास और सांख्य दर्शन।

चतुर्थ स्कंध: पृथु और ध्रुव की कथाएं।

पंचम स्कंध: भूगोल और ग्रहों का वर्णन, ऋषभदेव की कथा।

षष्ठ स्कंध: अजामिल की कथा, यम-नियम का वर्णन।

सप्तम स्कंध: प्रह्लाद और हिरण्यकशिपु की कथा, भक्ति की महिमा।

अष्टम स्कंध: गजेंद्र मोक्ष, समुद्र मंथन और वामन अवतार।

नवम स्कंध: विभिन्न राजवंशों का इतिहास, राम कथा।

दशम स्कंध: श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं, रासलीला, कंस वध और अन्य कथाएं।

एकादश स्कंध: उद्धव गीता, भक्ति और ज्ञान का समन्वय।

द्वादश स्कंध: कलियुग का वर्णन, भागवत की महिमा और समापन।

4. ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व:- भागवत पुराण की रचना का श्रेय वेदव्यास को दिया जाता है, जिन्होंने इसे अपने पुत्र शुकदेव को सुनाया था। शुकदेव ने इसे राजा परीक्षित को सुनाया, जो कथा का मूल संदर्भ है। यह ग्रंथ भक्ति आंदोलन के लिए प्रेरणा स्रोत रहा, विशेष रूप से चैतन्य महाप्रभु और अन्य संतों के लिए। इसमें वर्णित रासलीला और कृष्ण की लीलाओं ने भारतीय कला, नृत्य, संगीत और साहित्य को गहरे प्रभावित किया।

5. लोकप्रियता:- दशम स्कंध, जो श्रीकृष्ण की लीलाओं पर केंद्रित है, सबसे अधिक पढ़ा और सुना जाता है। इसे “भागवत कथा” के रूप में सप्ताह भर के प्रवचनों में प्रस्तुत किया जाता है। यह ग्रंथ संस्कृत में लिखा गया है, लेकिन इसकी टीकाएं और अनुवाद विभिन्न भारतीय भाषाओं में उपलब्ध हैं।

6. दार्शनिक संदेश:- भागवत महापुराण यह सिखाता है कि जीवन का उद्देश्य भगवान के प्रति प्रेम और भक्ति के माध्यम से आत्म-साक्षात्कार है। यह कर्म, ज्ञान और भक्ति योग का समन्वय प्रस्तुत करता है, लेकिन भक्ति को सर्वोपरि मानता है।

जय सनातन धर्म!

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