क्या कभी आपको लगा कि कोई पुराना ज्ञान आज भी आपके कंधे पर हाथ रखकर कह रहा हो सावधान रहो, साफ़ सोचो, सही कदम उठाओ ? चाणक्य नीति मुझे अक्सर ऐसा ही लगती है ! किताब से कम जीवन की सीधी फुसफुसाहट ज़्यादा !
मैंने पहली बार चाणक्य के सूत्र पढ़े तो लगा ये सिर्फ़ राजाओं के लिए नहीं हैं ! ये हमारे घर, दफ़्तर, दोस्ती, और सपनों के लिए भी हैं ! बातें सादी हैं धार तेज़ है ! और कहीं कहीं कड़वी भी पर सच अक्सर कड़वा ही होता है !
चाणक्य तक्षशिला के गुरु थे ! मौर्य साम्राज्य के सूत्रधार ! समय कठिन था ! राज्यों का बिखराव ! भीतर षड्यंत्र, बाहर आक्रमण ऐसे माहौल में नीति अगर नरम पड़ जाती, तो व्यवस्था डगमगा जाती !
उनका स्वभाव था साफ़ उद्देश्य ! कम भावुकता ज़्यादा परिणाम पर लोकहित केंद्र में यह संतुलन ही उन्हें असाधारण बनाता है !
कभी कभी लगता है वे कह रहे हों ” दिल रखो, पर दिशा मत खोओ ! “
चाणक्य नीति की रीढ़ कुछ सरल बातों में है :
- मानव स्वभाव मिश्रित है ! हित भी है, स्वार्थ भी ! इसलिए यथार्थवाद ज़रूरी है !
- साम, दाम, दंड, भेद उपाय हैं ! क्रम और समय सब कुछ तय करते हैं !
- सूचना शक्ति है ! गुप्तता का मान, पारदर्शिता का मूल्य !
- संसाधन सीमित हैं ! फिजूलखर्ची दुश्मन है !
- लोकहित और राज्यहित साथ साथ चलते हैं !
दादी कहा करती थीं ” लोहे को लोहे से काटते हैं, पर औज़ार कब चलाना है, यही हुनर है ! ” चाणक्य इसी हुनर की ट्रेनिंग देते हैं !
- उद्देश्य की स्पष्टता
लक्ष्य धुंधले हैं तो मेहनत भी धुंध में खो जाएगी ! क्या आपने कभी महीनों काम किया और अंत में लगा हम कहाँ जा रहे थे ?
- समय का मूल्य
कई बार आपने देखा होगा एक मौका हाथ से निकल गया सिर्फ़ इसलिए कि हमने देर कर दी ! चाणक्य चेताते हैं वक़्त किसी का इंतज़ार नहीं करता ! सही क्षण पहचानो और तुरंत कदम बढ़ाओ, वरना पछतावा बचेगा !
- मित्र शत्रु की पहचान
भरोसा करें, पर आँखें खुली रखें ! मुझे याद है, कॉलेज में एक बार हमने गलत व्यक्ति को अहम ज़िम्मेदारी दे दी ! मेहनत सबकी डूब गई ! सबक मिला योग्यता देखें, सिर्फ़ शब्दों पर न जाएँ !
- सूचना और गोपनीयता
योजना जितनी बड़ी उतनी ही चुप ! दादी कहती थीं ” कच्चे दूध की लस्सी दूर मत दिखाओ, नज़र लगती है ! ” मतलब, अधपकी बातों को कम लोगों तक रखें, तैयार होने पर खुलकर बोलें !
- संसाधन संरक्षण
पैसा, समय, प्रतिष्ठा ये पूंजी हैं ! इन्हें भावनाओं के उबाल में मत बहने दें !
- प्रोत्साहन और न्याय
डर से टीम चलती नहीं, भागती है ! न्याय से लोग जुड़ते हैं ! गलतियाँ होंगी सुधरने का मौका दें ! पर बार बार की चूक पर स्पष्टता ज़रूरी है !
नेता मालिक नहीं, संरक्षक है ! यह सीख मुझे हर बार बचाती है जब ईगो रास्ता रोकता है !
- संस्थाएँ टिकाऊ बनाइए ! व्यक्ति महान हो सकते हैं, पर नियम, लेखा, न्याय और सुरक्षा ये ही रीढ़ हैं !
- सही व्यक्ति, सही भूमिका ! भर्ती में पक्षपात मत करें ! ट्रेनिंग दें जिम्मेदारियाँ लिखित रखें !
- डेटा आधारित निर्णय ! अफ़वाह से लिया फैसला, न्याय को चोट पहुंचाता है !
- कर व्यवस्था का रूपक जीवन में भी लागू है कमाओ, बचाओ, पर शोषण मत करो ! टीम से उतना ही लो, जितना उन्हें बढ़ने देता हो !
कभी पंचायत में देखा था नहर का पानी बाँटने पर झगड़ा ! सरपंच ने कहा, ” पहले नियम लिखेंगे, फिर पानी बाँटेंगे ! ” नियम बने, आवाज़ें धीमी हुईं ! चाणक्य मुस्कराते होंगे !
चाणक्य कठोर हैं, पर निष्ठुर नहीं ! वे कहते हैं परिणाम चाहिए, पर साधन भी सीमाओं में हों ! निजी स्वार्थ नीति को गंदा कर देता है ! सार्वजनिक हित उसे चमका देता है !
हम सब उस बारीक लकीर पर चलते हैं आदर्श और उपयोगिता के बीच ! मेरा अनुभव कहता है, जब मन उलझे, तो पूछो ” क्या इससे सबसे ज़्यादा लोगों का भला होगा ? ” जवाब अक्सर रास्ता दिखाता है !
निजी जीवन के पाठ
- लक्ष्य और अनुशासन
छोटे लक्ष्य लिखिए ! रोज़ 30 मिनट का निवेश कौशल, स्वास्थ्य, संबंध ! बड़े बदलाव छोटे छोटे कदमों से आते हैं !
- संगति का चुनाव
” जैसी संगति, वैसी रंगति ! ” जो लोग मानक ऊँचे रखते हैं, वे हमें भी ऊपर खींचते हैं !
- वित्तीय सावधानी
आय का हिस्सा बचत में रखें ! आपात कोष बनाएं कर्ज़ का अनुशासन रखें ! यह सब सुनने में सूखा है पर आज़ादी का असली स्वाद यहीं है !
- संवाद और सीमा
सब कुछ सबको मत बताइए ! निजी योजनाएँ चुनिंदा भरोसेमंद लोगों तक ! विश्वास भी बने, सुरक्षा भी रहे !
- स्वास्थ्य और संयम
अति किसी चीज़ की अच्छी नहीं ! नींद, भोजन, व्यायाम, स्क्रीन संतुलन ही दीर्घकाल में जीतता है !
कभी एक दोस्त ने उत्साह में हर योजना सबको बता दी ! बाद में जब चीज़ें बदल गईं, मज़ाक उड़ाया गया ! उसने सीखा पहले पकाओ, फिर परोसों !
काम और करियर
- रणनीतिक सोच
प्रतियोगी कौन हैं ? कौन सी ताकत आपकी खास है ? सबसे बड़ा जोखिम क्या है ? यह तीन सवाल हर तिमाही पूछिए !
- टीम निर्माण
प्रतिभा पहचानिए भूमिका स्पष्ट कीजिए फीडबैक नियमित दीजिए ! मैंने नोट किया जब पुरस्कार प्रणाली पारदर्शी हुई, शिकायतें अपने आप घट गईं !
- निर्णय और जवाबदेही
कभी कभी जानकारी अधूरी होती है ! फिर भी समय पर निर्णय चाहिए ! तर्क लिख लें, ताकि सीख बने और टीम समझे फैसले हवा में नहीं लिए गए !
- संघर्ष सुलह
तापमान कम कीजिए मुद्दे पर आइए ! भिन्न मत विचार की गुणवत्ता बढ़ाते हैं ! यह आसान नहीं, पर फलदायी है !
एक बार टीम में डेडलाइन चूक गई ! गुस्सा तो आया, पर हमने पहले नुक़सान सीमित किया ! फिर कारण खोजा ! अंत में प्रक्रिया सुधारी ! यही चाणक्य का संकट प्रबंधन है पहले आग बुझाओ फिर वायरिंग ठीक करो !
उद्यमिता के संकेत
- संसाधन आवंटन
सीमित पूंजी को वहीं लगाइए जहाँ ग्राहक समस्या हल हो ! चमक दमक बाद में आएगी पहले उत्पाद बाज़ार अनुकूलन !
- जोखिम और अनुपालन
कानूनी अनुपालन बोरिंग लगता है ! पर वही भविष्य की मुसीबतें बचाता है ! दस्तावेज़ीकरण, विविधीकरण ये सुरक्षा जाल हैं !
- साझेदारियाँ
सही गठबंधन ताकत बढ़ाते हैं ! शर्तें साफ़ रखें लाभ साझेदारी में न्याय रखें ! विश्वास लौट लौट कर आता है !
राजनीति और समाज
- नीति निर्माण
प्रमाण आधारित फैसले ! छोटे पायलट सीख, फिर विस्तार ! दिखावे से नहीं, असर से नापिए !
- पारदर्शिता और जवाबदेही
ई गवर्नेंस, ओपन डेटा, सामाजिक लेखा ये भरोसा बनाते हैं ! भ्रष्टाचार केवल नियम से नहीं संस्कृति से भी कम होता है !
- सुरक्षा का संतुलन
तकनीक से निगरानी ठीक पर नागरिक अधिकार भी सुरक्षित रहें ! सुरक्षा और स्वतंत्रता दोनों साथ चलें, तभी स्थिर शांति बनती है !
गाँव की एक बैठक में देखा सूचना दीवार पर चस्पा होने लगी ( किस परियोजना में कितना खर्च ) ! सवाल बढ़े डर भी पर धीरे धीरे काम सुधरा ! पारदर्शिता का यही असर है पहले चुभती है, फिर चंगा करती है !
चाणक्य कभी कभी कठोर लगते हैं ! कुछ सूत्र चालाकी की तरफ़ झुकते हैं ! आज का समय समावेशन और मानवाधिकार पर ज्यादा जोर देता है ! इसलिए चुनाव करें ! जो समय संगत हो, वही लें !
कुछ बातें अपने संदर्भ तक ही उचित थीं ! उन्हें जस का तस लागू करना अन्याय कर सकता है ! पर उनका मूल आग्रह व्यवस्था सुरक्षा और लोकहित आज भी हमारी दिशा बन सकता है !
हम इंसान हैं ! कभी भावुक हो जाएंगे ! कभी सख़्त यह अनगढ़ता भी ज़रूरी है क्योंकि वहीं से असली आवाज़ निकलती है !
सार सूत्र
- लक्ष्य स्पष्ट समय मूल्यवान कदम समय पर !
- सूचना की ताकत गोपनीयता का विवेक !
- सही व्यक्ति, सही स्थान, सही समय !
- न्यायसंगत पुरस्कार स्पष्ट अनुशासन !
- जोखिम पूर्वानुमान आकस्मिकता योजना निरंतर सीख !
- लोकहित केंद्र में निजी और संस्थागत हित संतुलित !
एक छोटी कहावत याद आती है ” धीरे धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय ! ” चाणक्य जोड़ देते धीरे सही, पर दिशा सही हो !
चाणक्य नीति हमें भावनात्मक आवेग से उठाकर ठोस ज़मीन पर खड़ा करती है ! पर दिल को सूखा नहीं छोड़ती ! वह कहती है आदर्श रखो, परिणाम देखो, और इंसानियत मत छोड़ो ! साम, दाम, दंड, भेद हों या समय, सूचना और संसाधन औज़ार बहुत हैं ! असली कला है कब कौन सा औज़ार उठाना है !
कभी कभी रात को लगता है कोई कह रहा है ” सोच समझकर, पर डरो मत ! ” शायद वही चाणक्य हैं ! और शायद यही नीति, आज के हमारे छोटे बड़े फैसलों की असली रोशनी !