गरुड पुराण (गरुड़ पुराण)
गुरुड पुराण (गरुड़ पुराण) हिंदू धर्म के 18 महापुराणों में से एक है और इसका नाम भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ के नाम पर रखा गया है, जो इस ग्रंथ में प्रश्नकर्ता के रूप में प्रकट होते हैं। यह पुराण मुख्य रूप से मृत्यु, जीवन के बाद की प्रक्रिया, कर्मफल, प्रेतात्माओं, स्वर्ग-नरक और मोक्ष जैसे विषयों पर केंद्रित है। इसके साथ ही इसमें धर्म, नीति, आयुर्वेद, ज्योतिष और अन्य जीवनोपयोगी विषयों का भी वर्णन है।
विस्तृत जानकारी:
1. संरचना:-
खंड: गरुड़ पुराण को मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित किया जाता है: – आचार खंड, प्रेत खंड (या कर्म खंड), और ब्रह्म खंड। हालांकि, कुछ संस्करणों में इसे दो खंडों (पूर्व खंड और उत्तर खंड) में भी देखा जाता है।
अध्याय: इसमें लगभग 279 अध्याय हैं।
श्लोक: करीब 19,000 श्लोक हैं, लेकिन यह संख्या विभिन्न संस्करणों में भिन्न हो सकती है। यह मूलतः संवाद शैली में लिखा गया है, जिसमें गरुड़ भगवान विष्णु से प्रश्न पूछते हैं और विष्णु उत्तर देते हैं।
2. प्रमुख विषय:-
मृत्यु और परलोक:- गरुड़ पुराण का सबसे प्रसिद्ध हिस्सा मृत्यु के बाद की यात्रा, यमलोक, प्रेत योनि, और पुनर्जन्म का वर्णन है। यह बताता है कि आत्मा शरीर छोड़ने के बाद क्या-क्या अनुभव करती है। कर्म और फल: कर्मों के आधार पर स्वर्ग, नरक या अन्य लोकों में गति का विस्तृत विवरण।
श्राद्ध और तर्पण: – मृतकों के लिए श्राद्ध और पिंडदान की विधि, जिसे हिंदू संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
आयुर्वेद और स्वास्थ्य: – इसमें रोगों के कारण, निदान और उपचार के बारे में जानकारी दी गई है।
ज्योतिष और भूगोल: – ग्रहों, नक्षत्रों और पृथ्वी की संरचना का वर्णन।
धर्म और नीति: – जीवन जीने के नियम, दान-पुण्य का महत्व और नैतिकता पर जोर।
मोक्ष: – भक्ति और ज्ञान के माध्यम से मोक्ष प्राप्ति का मार्ग।
3. खंडों का संक्षिप्त विवरण:-
आचार खंड (पूर्व खंड):- सृष्टि की उत्पत्ति, भगवान विष्णु की महिमा, विभिन्न अवतारों का वर्णन। धर्म, दैनिक जीवन के नियम, व्रत-उपवास और पूजा-पाठ की विधियां। आयुर्वेद, ज्योतिष, व्याकरण और अन्य विद्याओं का उल्लेख। इसमें कई प्रसंग हैं, जैसे सूर्य और चंद्र वंश का इतिहास।
प्रेत खंड (कर्म खंड):- मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा का वर्णन, जिसमें यमदूतों द्वारा आत्मा को ले जाना, यमलोक में कर्मों का हिसाब और दंड-पुरस्कार शामिल हैं। नरक के 28 प्रकारों और वहां मिलने वाली यातनाओं का चित्रण। प्रेत योनि से मुक्ति के लिए श्राद्ध और तर्पण का महत्व। यह खंड मृत्यु के रहस्यों को समझने में सहायक माना जाता है।
ब्रह्म खंड (उत्तर खंड):- भक्ति, योग और मोक्ष पर चर्चा।भगवान विष्णु के प्रति समर्पण और उनके गुणों का वर्णन। कुछ संस्करणों में यह हिस्सा छोटा होता है और इसे अन्य खंडों में समाहित कर दिया जाता है।
4. ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व:- गरुड़ पुराण की रचना का श्रेय वेदव्यास को दिया जाता है, जिन्होंने इसे अन्य पुराणों के साथ संकलित किया। यह ग्रंथ विशेष रूप से अंतिम संस्कार और श्राद्ध के समय पढ़ा जाता है, क्योंकि यह मृत्यु और परलोक से संबंधित गहन जानकारी देता है। इसके प्रेत खंड का उपयोग हिंदू परिवारों में मृत्यु के बाद 13 दिनों तक कथा वाचन के लिए किया जाता है, जिसे “गरुड़ पुराण पाठ” कहते हैं।
5. लोकप्रियता और उपयोग:- गरुड़ पुराण का प्रेत खंड सबसे अधिक चर्चित है, लेकिन इसके अन्य हिस्से भी ज्ञानवर्धक हैं। लोग इसे केवल मृत्यु से संबंधित ग्रंथ मान लेते हैं, पर इसमें जीवन जीने की कला भी समाहित है। यह संस्कृत में लिखा गया है, लेकिन हिंदी, तमिल, तेलुगु आदि भाषाओं में इसके अनुवाद और व्याख्याएं उपलब्ध हैं।
6. दार्शनिक संदेश:- यह ग्रंथ कर्मफल के सिद्धांत पर जोर देता है- “जैसा करोगे, वैसा भरोगे।” भक्ति और ईश्वर के प्रति समर्पण को मोक्ष का साधन बताया गया है। मृत्यु को जीवन का स्वाभाविक हिस्सा मानकर इससे भयमुक्त होने की प्रेरणा दी गई है।
7. रोचक तथ्य:- गरुड़ पुराण में नरक के वर्णन को बहुत भयावह बताया गया है, जैसे “रौरव नरक” में पापियों को सर्पों से कटवाना या “कुंभीपाक नरक” में तेल में उबालना। इसमें विष्णु के 24 अवतारों का उल्लेख है, जो अन्य पुराणों से भिन्न हो सकता है। आयुर्वेद के हिस्से में कई प्राचीन चिकित्सा विधियों का जिक्र है, जो आज भी प्रासंगिक हैं।
जय सनातन धर्म!
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