जानिए क्या है हिन्दू शब्द का इतिहास – History of Hindu Words

हम हिन्दू हैं

१. हिन्दू शब्द की व्युत्पत्ति ‘सिन्धु’ से की गई है, अर्थात् (क) वह समाज जो सिंधु नदी के आसपास रहता था; या (ख) सिन्धु नदी से सिन्धु-तट (हिन्दु महासागर) तक रहने वाला था। (ग) ‘हिं-दुहते इति हिन्दु’ : अर्थात् जो प्रत्येक सिद्धांत का सार-ग्रहण करता है, मंथन करता है, ऐसा समाज।

२. सहस्त्रों वर्षों से प्रचलित नाम की व्याख्या, व्युत्पत्ति या परिभाषा अनावश्यक, अव्यवहार्य और अपूर्ण होती है। अव्याप्ति और अतिव्याप्ति दोष आना स्वाभाविक।

३. आक्रमणकारी असीरियन, पार्थियन, सीथियन, ईरानी और तुर्की, पठानों-मुगलों की दृष्टि में आज के लगभग सभी भारतवासी ‘हिन्दू’ थे। विदेशों में मत-संप्रदाय का विचार किये बिना, प्रत्येक भारतवासी ‘हिन्दू’ ही माना जाता था।

४. हिंदू कोड विधेयक में मान्य ‘हिन्दू’ का स्पष्टीकरण हिंदू का संकुचित अर्थ, उस समय का व्यावहारिक रूढ़ अर्थ प्रस्तुत करता है। उसमें सिक्ख, बौद्ध, वनवासी आदि ‘हिन्दू’ में सम्मिलित हैं—ईसाई, मुस्लिम, पारसी और यहूदी छोड़कर सभी भारतवासी ‘हिन्दू’ माने गये हैं। परन्तु यह संकुचित अर्थ है।

५. व्यापक अर्थों में ‘हिन्दू’ शब्द राष्ट्रवाची, संस्कृतवाची, जाति (मानव-वर्ग) वाची है। आज के लगभग सभी भारतवासी हिंदू हैं क्योंकि वे या तो हिंदू पूर्वजों की संतानें हैं या उनके रक्त में बहु-मात्रिक अंश हिंदू वंश का है।

६. भाषा, दृष्टिकोण, जीवन-दर्शन की दृष्टि से सभी भारतवासी हिंदू हैं—त्यागी, तपस्वी, प्रेमयुक्त, संयमित, पवित्र, सहानुभूति जीवन को महत्व देने वाला, भारत मां की भक्ति करने वाला।

७. इस प्रकार ऐसा प्रत्येक व्यक्ति हिंदू है जो :
(१) भारतवर्ष को अपनी मातृभूमि, पितृभूमि (पूर्वजों की भूमि), पुण्यभूमि (विश्व में सर्वाधिक पवित्र भूमि), कर्मभूमि (परिश्रम द्वारा वैभवपूर्ण बनाई जाने वाली भूमि), धर्मभूमि (जीवन के कर्तव्यों का निर्देश करने वाली भूमि) स्वीकार करता है।
(२) भारतवर्ष में उद्भूत और विकसित जीवन-दर्शन को स्वीकार करता है।
(३) प्राचीन भारतवर्ष के पूर्वजों को अपना पूर्वज, भारत की रक्षा करने वाले और भारत पर आक्रमणकारियों से संघर्ष करने वाले वीरों को अपना आदर्श एवं यहां के गौरवशाली अतीत और संघर्षपूर्ण इतिहास को अपना इतिहास मानता है।
(४) जिसका यहां के संपूर्ण समाज से अखंड स्नेह-संबंध अपनत्व का नाता जुड़ा है।
(५) जिसको भारतवर्ष का वैभव संसार के अन्य सब देशों के वैभव से अधिक इष्ट और साध्य है।
(६) विचार करने पर भारतवर्ष के कण-कण से, इतिहास के क्षण-क्षण से, जीवन पद्धति की हर अभिव्यक्ति से यही स्पष्ट होगा कि हम हिन्दू हैं।

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