पद्म पुराण : कमल की पवित्र गाथा और सनातन जीवनधारा
आप लोगो ने पद्म पुराण की कहानी कही बार सुनी होगी ! जिस प्रकार जल में खिला हुआ कमल स्वच्छता और सुंदरता का प्रतीक है उसी प्रकार पद्म पुराण हमारी सनातन संस्कृति में शुद्धता, भक्ति और ज्ञान के लिए एक अमूल्य खजाना है ! क्या आपने कभी सोचा है कि आज भी जब हम तुलसी की पूजा क्यो करते हैं या किसी तीर्थ पर जाते हैं तो वह परंपरा कहाँ से आती है ?
आज की भागदौड़ में जब भी मन बेचैन होता है तो मैं इसके श्लोक पढ़ने से एक अजीब-सी शांति महसूस होती है ! यह वैष्णव पुराण न केवल भगवत भक्ति और धर्म का प्रतिपादन करता है बल्कि आज के दौर में भी जीवन को दिशा और प्रेरणा देने वाला अप्रतिम ग्रंथ है ! इस लेख के माध्यम से आइए जानते हैं पद्म पुराण की पूरी दुनिया के बारे में !
जब हम ‘ पद्म ‘ शब्द सुनते हैं तो सबसे पहले कमल का सुंदर चित्र मन में आता है ! और सच में इसी कमल से पद्म पुराण का गहरा रिश्ता है ! कहानी कुछ यूं है कि सृष्टि के शुरुआत में भगवान विष्णु की नाभि से एक कमल निकला और उसी से ब्रह्माजी का जन्म हुआ ! पद्म पुराण में इसी कमल के महत्व और उससे जुड़ी सृष्टि की कहानी का बेहतरीन वर्णन मिलता है !
यह महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित अठारह ( 18 ) महापुराणों में से एक है और इसका स्थान द्वितीय है ! लगभग पचपन हजार ( 55,000 ) श्लोकों के साथ यह स्कंद पुराण के बाद दूसरा सबसे बड़ा पुराण है ! मैंने देखा है कि इसके दो मुख्य संस्करण मिलते हैं बंगाल वाला ( पाँच खंड में ) और वेंकटेश्वर वाला ( सात खंड में ) ! आज गीता प्रेस और दूसरे प्रकाशकों के जरिए यह आसानी से मिल जाता है !
पद्म पुराण की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह सिर्फ धर्म की बातें नहीं करता ! इसमें हमारे जीवन, इतिहास, भूगोल, रिश्ते नाते सब कुछ समाया हुआ है ! आइए जानते हैं इसके अलग अलग हिस्सों के बारे में !
सृष्टि खंड पढ़ते समय लगता है मानो कोई पुराना किस्सा सुनाया जा रहा हो थोड़ा रहस्यमय, थोड़ा रोचक ! यहाँ कुल बयालीस ( 82 ) अध्याय हैं जो पांच भागों में बंटे हैं ! इसमें पृथ्वी कैसे बनी, कमल पर ब्रह्माजी कैसे आए, सृष्टि का विस्तार, रुद्राक्ष की उत्पत्ति, पुष्कर तीर्थ की महिमा, सावित्री सत्यवान की प्रेम कहानी और गंगा माता के धरती पर आने की गाथा सब कुछ मिलता है ! जब भी आप सृष्टि के रहस्य जानना चाहें तो यह खंड हर बार नया नजरिया देता है !
भूमि खंड में न केवल भारतीय भूगोल, पर्वतों, द्वीपों और सागरों का जिक्र है बल्कि तीर्थयात्राओं की महिमा भी है ! कश्यप और अदिति की संतानों के किस्से भी रोचक हैं ! मुझे लगता है कि एक आम हिन्दू परिवार में अगर कोई तीर्थ पर जाता है तो इसकी प्रेरणा कहीं न कहीं इसी खंड से जुड़ी होती है !
स्वर्ग खंड देवताओं की दुनिया के साथ साथ दुष्यंत शकुंतला और पुरुरवा उर्वशी जैसी मशहूर प्रेम कहानियां भी सुनाता है ! इसमें चार वर्णों और आश्रमों के कर्तव्यों की बात भी है ! अगर आज कोई जीवन में ऊंचाइयां पाना चाहता है तो स्वर्ग खंड की नीतियां उसके लिए गाइड का काम कर सकती हैं !
पाताल खंड में पाताल लोक और नाग देवताओं के साथ साथ श्रीरामचरित्र का खूबसूरत वर्णन है ! क्या आपको पता है कि रावण वध के बाद श्रीराम के अश्वमेध यज्ञ, ऋष्यश्रृंग की कथा, सीता का वाल्मीकि आश्रम में जीवन यह सब यहीं विस्तार से मिलता है ? दिलचस्प बात यह है कि आज की कई रामायण कथाओं का आधार इसी खंड से आता है !
उत्तर खंड को मैं पद्म पुराण का दिल कहूंगा ! इसमें भक्ति क्या है, योग और भक्ति का मेल कैसे हो, गीता माहात्म्य, शिव गीता, भागवत माहात्म्य, आत्मा और मोक्ष का मतलब सब कुछ समझाया गया है ! अगर आप जीवन में भक्ति, ज्ञान और मोक्ष का सच्चा अर्थ जानना चाहते हैं तो यह खंड सबसे काम का है !
वेंकटेश्वर संस्करण में दो और खंड हैं ! ब्रह्म खंड में विष्णु महिमा, त्योहार, राधा के उत्सव, तुलसी की महिमा और पूजा विधि है ! क्रियायोगसार खंड में श्रीकृष्ण की कथाएं, नैतिकता, मेहमानों का सत्कार और तत्वज्ञान की बातें हैं !
पद्म पुराण की कहानियां सिर्फ कहानियां नहीं हैं ये हमारे रिश्तों, भावनाओं और समाज का सजीव चित्रण करती हैं ! बलि वामन की दानशीलता, शकुंतला का प्रेम, नंदा धेनु का त्याग, गायत्री सावित्री का संघर्ष, तुलाधार के पतिव्रत धर्म, माण्डव्य ऋषि का धैर्य हर कहानी दिल को छूती है !
मुझे लगता है कि आज भी अगर लोग सावित्री सत्यवान की कहानी पढ़ें तो रिश्तों के मायने और गहराई बेहतर समझ पाएंगे ! राजा बलि की दानशीलता या माण्डव्य ऋषि का संयम ये सिर्फ कहानियां नहीं, जीवन जीने के तरीके हैं ! हर कथा हमें अपने अंदर झांकने पर मजबूर करती है !
पद्म पुराण का धार्मिक महत्व तो है ही लेकिन इसके व्यावहारिक उपदेश भी कमाल के हैं ! यह एक ‘वैष्णव पुराण’ है क्योंकि इसमें भगवान विष्णु और उनके अवतारों की भक्ति का खूबसूरत वर्णन है !
इसके अनुसार शालग्राम शिला, तुलसी और शंख की एक साथ पूजा करने से भगवान खुश होते हैं ! बिना वजह किसी से दुश्मनी न रखना, किसी प्राणी को दुख न पहुंचाना, निंदा न करना और निंदा करने वालों से दूर रहना ये सब बातें आज भी उतनी ही सच हैं ! दीपक, शिवलिंग या शालग्राम को जमीन पर नहीं रखना चाहिए यह भी एक अच्छी सीख है !
आज भी जब मेरे आसपास लोग जिंदगी में उलझनें महसूस करते हैं तो पद्म पुराण के ये उपदेश उन्हें सही रास्ता दिखाते हैं !
भारत के तीर्थों की महिमा का सबसे सुंदर वर्णन इसी पुराण में है ! आज भी जब लोग वाराणसी में गंगा स्नान करते हैं तो पंडितजी पद्म पुराण का हवाला देकर तीर्थ की महिमा बताते हैं ! पुष्कर, अयोध्या, द्वारका, बदरीनाथ, गंगा इन सबका अध्यात्म और इतिहास पद्म पुराण से ही हमारी जिंदगी में मिला है !
मैंने देखा है कि जो भी तीर्थयात्री इन जगहों के माहात्म्य को सच में समझना चाहते हैं उनके लिए पद्म पुराण सबसे विश्वसनीय गाइड है ! हर तीर्थ की पवित्रता, वहां के धार्मिक नियम, व्रत, पूजा सब कुछ विस्तार से मिलता है !
यह पुराण सिर्फ पूजा पाठ की बातें नहीं करता बल्कि सामान्य जीवन में कैसे रहना है चाहिए इसका रास्ता भी दिखाता है ! सत्य बोलना, दया भाव रखना, विनम्रता, इंद्रियों का संयम, परिवार के साथ प्रेम से रहना, कर्म का महत्व, मुसीबतों को धैर्य से झेलना, अपने कर्तव्य का पालन करना और अधर्म से दूर रहना ये सब बातें आज भी उतनी ही काम की हैं !
जब रिश्तों में तनाव हो, जिंदगी में बेचैनी हो, या मन में संघर्ष चल रहा हो तब पद्म पुराण के आचरण हमें मानसिक शांति और संतुलन की ओर ले जाते हैं ! मैंने बचपन में सुना था कि तुलसी पूजा का महत्व पद्म पुराण में विस्तार से बताया गया है और सच में यह हर घर की परंपरा बन चुकी है !
पद्म पुराण की भाषा में एक अजीब सा जादू है कोमल, भक्तिपूर्ण और भावनाओं से भरपूर ! लगभग पचपन हजार ( 55,000 ) श्लोक और छह सोह सत्तानबे ( 697 ) अध्यायों में यह बंटा हुआ है ! इसमें अध्यात्म के साथ साथ लोक कथाओं की सजीवता, व्यवहारिकता और कल्पनाशीलता भी देखने को मिलती है !
ऐसे अनेक संवाद, कहानियां और उपदेश हैं जो हर उम्र के पाठक को छूने और प्रभावित करने की ताकत रखते हैं ! जब भी मैं इसके श्लोक पढ़ता हूं तो लगता है जैसे कोई पुराना मित्र बातचीत कर रहा हो !
भारत में पद्म पुराण की अनेक हस्तलिखित पांडुलिपियां मौजूद हैं ! मुख्य रूप से बंगाल संस्करण और वेंकटेश्वर संस्करण, दोनों ही लोकप्रिय हैं ! आज के डिजिटल जमाने में यह गीता प्रेस, इंटरनेट और दूसरे जरियों से हिंदी में भी मिल जाता है ! अब तो मोबाइल ऐप्स में भी उपलब्ध है जिससे इसकी पहुंच आम लोगों तक बहुत आसान हो गई है !
जब यह पुराण लिखा गया था तब इसकी जरूरत उस समय के समाज के धार्मिक और नैतिक उत्थान के लिए थी ! लेकिन आज भी इसके उपदेश, कहानियां और मूल्य पहले से कहीं ज्यादा काम के हैं ! जब लोग सिर्फ पैसा, सुख और प्रतिस्पर्धा के पीछे भागते हैं तब पद्म पुराण की कहानियां हमें वापस जीवन के असली मूल्यों की ओर लौटने की प्रेरणा देती हैं !
क्या आपने कभी गौर किया है कि धर्म, आचार, संस्कार यह सब आज भी पद्म पुराण से ही हमारी जिंदगी में गहराई तक घुले हुए हैं ?
अगर आप एक ऐसी किताब चाहते हैं जिसमें धर्म, भक्ति, प्रेम, त्याग, आदर्श, नैतिकता, समाज, संस्कृति, इतिहास और दिलचस्प कहानियां एक साथ मिलें तो पद्म पुराण आपके लिए परफेक्ट है ! यह सिर्फ कहानियों का संग्रह नहीं बल्कि जीने का एक तरीका है !
आज की भागदौड़ में जब भी मैं इसे पढ़ता हूं तो न सिर्फ मानसिक शांति मिलती है बल्कि कर्तव्य, श्रद्धा और नैतिकता के रास्ते पर चलने की प्रेरणा भी मिलती है ! हर घर में इसे रखा जाना चाहिए खासकर आज जब रिश्ते टूटते दिख रहे हैं और जीवन के मूल्य खोते जा रहे हैं !
अपनी हर पीढ़ी को पद्म पुराण पढ़ाना बेहद जरूरी है ! इससे न सिर्फ धार्मिक शिक्षा मिलती है बल्कि जिंदगी के व्यावहारिक पहलू भी मजबूत होते हैं ! जब आपको लगे कि जीवन बेमतलब हो रहा है या कुछ समझ नहीं आ रहा तो पद्म पुराण की कहानियां और उपदेश आपको प्रेम, भक्ति, विश्वास और कर्तव्य के नए मायने सिखाएंगे !
अंत में पद्म पुराण हमारी संस्कृति, परंपरा और जीवन व्यवस्था का असली दर्पण है ! यह न सिर्फ एक ग्रंथ है बल्कि सनातन जीवन की पवित्र धारा है ! इसमें डुबकी लगाकर हर व्यक्ति अपनी जिंदगी को पावन, सार्थक और खुशियों से भरा बना सकता है !