ऋग्वेद का परिचय (Rig Veda in Hindi)
परिभाषा और महत्व
ऋग्वेद, जिसका अर्थ है ‘स्थिति और ज्ञान’, चार वेदों में सबसे पहला और प्राचीनतम वेद है। यह मुख्यतः पद्यात्मक है और सनातन धर्म का प्रारंभिक स्रोत माना जाता है। यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद की उत्पत्ति भी ऋग्वेद से हुई है। यह वेद छंदों में रचित है, जबकि यजुर्वेद गद्य रूप में और सामवेद गीत-संगीत आधारित है।
ऋग्वेद की रचना उत्तर-पश्चिमी भारत में 1500 से 1000 ईसा पूर्व मानी जाती है। इसके मंत्र और भजन अलग-अलग काल में विभिन्न ऋषियों द्वारा रचे गए हैं। इसमें आर्यों की राजनीतिक परंपरा और इतिहास की भी जानकारी दी गई है।
संरचना और विभाजन
- ऋग्वेद में 10 मंडल, 1028 सूक्त और लगभग 10,580 मंत्र हैं।
- पहला और दसवां मंडल सबसे बड़े हैं, जिनमें प्रत्येक में 191 सूक्त शामिल हैं।
- दूसरा से सातवां मंडल ऋग्वेद का श्रेष्ठ भाग माना जाता है।
औषधियों और देवताओं का वर्णन
- दसवें मंडल में 125 औषधियों का वर्णन किया गया है, जो 107 स्थानों पर पाई जाती हैं।
- सोम औषधि का विशेष उल्लेख मिलता है।
- ऋग्वेद में लगभग 400 स्तुतियां सूर्य, इंद्र, अग्नि, वरुण, रुद्र और सविता जैसे देवी-देवताओं को समर्पित हैं।
मुख्य तथ्य
- ऋग्वेद की परिभाषा है ‘स्थिति और ज्ञान’।
- यह सनातन धर्म का प्रथम और मुख्य स्रोत है।
- इसमें 10 मंडल, 1028 सूक्त और कुल 10,580 मंत्र हैं।
- इसमें 33 कोटि देवी-देवताओं और सूर्य, उषा, अदिति जैसी देवियों का वर्णन है।
- इंद्र को सबसे शक्तिशाली देवता माना गया है, जिनकी स्तुति में 250 मंत्र हैं।
- पहला और अंतिम मंडल समान रूप से बड़े हैं, प्रत्येक में 191 सूक्त हैं।
- वेदव्यास ने ऋग्वेद को अष्टक क्रम और मंडल क्रम में विभाजित किया।
विभाजन और शाखाएं
ऋग्वेद के दो विभाजन:
- अष्टक क्रम:
- इसमें आठ अष्टक हैं, और प्रत्येक अष्टक को आठ अध्यायों में विभाजित किया गया है।
- कुल वर्गों की संख्या 2006 है।
- मंडल क्रम:
- इसमें 10 मंडल, 85 अनुवाक, 1028 सूक्त और 11 बालखिल्य सूक्त शामिल हैं।
प्रमुख शाखाएं:
ऋग्वेद में 21 शाखाओं का उल्लेख है, जिनमें 5 मुख्य शाखाएं हैं:
- शाकल
- वाष्कल
- आश्वलायन
- शांखायन
- मांडूकायन
महत्वपूर्ण सूक्त और मंत्र
- दसवें मंडल में पुरुषसूक्त, नासदीय सूक्त, विवाह सूक्त और देवी सूक्त का वर्णन मिलता है।
- सातवें मंडल में गायत्री मंत्र का उल्लेख है।
- शतपथ ब्राह्मण और अन्य ग्रंथों के अनुसार, ऋग्वेद के शब्दों और अक्षरों की गिनती का विशेष ध्यान रखा गया था।
विशेषताएं
ऋग्वेद मानव सभ्यता के प्रारंभिक ज्ञान, संस्कृति और परंपरा का प्रमुख स्रोत है। इसके मंत्र न केवल धर्मिक अनुष्ठानों में बल्कि आध्यात्मिक और वैज्ञानिक विचारों में भी सहायक हैं। वर्तमान में उपलब्ध शाकल संहिता में 10,552 मंत्र हैं।