संस्कृत भाषा देवों की भाषा है, सनातन धर्म परंपरा में और भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अतुल्य योगदान रहा है।
आज सनातन धर्म के जितने भी महत्वपूर्ण धर्मग्रंथ हैं —
जैसे कि रामायण, महाभारत, वेद, उपनिषद, गीता और जो मानव के जीवन को बदलने वाले ग्रंथ हैं, इन सभी को मूलतः वैदिक संस्कृत भाषा में ही लिखा गया है। लेकिन धीरे-धीरे संस्कृत भाषा जनमानस और बोलचाल की भाषा से धूमिल होती जा रही है,
अब गिने-चुने लोगों को ही शुद्ध संस्कृत भाषा का ज्ञान है।
संस्कृत भाषा इसलिए भी सीखनी चाहिए ताकि हम अपनी प्राचीन धरोहर को संजोकर रख सकें, हमारे चारों वेद – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद — जिनमें सनातन धर्म परंपराओं का उल्लेख है, उन परंपराओं का ज्ञान भाव और तत्त्व के साथ अध्ययन कर सकें, और उन्हें आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचा सकें व अपने जीवन में उतार सकें। इसके साथ-साथ, महाभारत और रामायण जैसे महान धर्मग्रंथों को गहराई से समझने के लिए भी हमें संस्कृत भाषा सीखने की आवश्यकता होती है।
संस्कृत भाषा को समस्त भारतीय भाषाओं की जननी माना जाता है। संस्कृत भाषा में किसी भी अपशब्द या त्रुटि की संभावना अत्यंत कम होती है। और यह एक वैज्ञानिक प्रमाण है कि संस्कृत भाषा के अध्ययन से मानसिक चिंतन, स्मरण शक्ति और ध्यान में वृद्धि होती है। नासा ( NASA ) सहित कई वैज्ञानिक संस्थाएँ संस्कृत भाषा को सबसे परिष्कृत और कंप्यूटर के लिए सबसे उपयुक्त भाषा मान चुकी हैं। योग, आयुर्वेद, वास्तु और ज्योतिष का मूल आधार भी संस्कृत भाषा ही है। अब इस बात से आप अनुमान लगा सकते हैं कि हमें संस्कृत भाषा सीखने कितनी आवश्यक है हमारी सनातन संस्कृति में जितने भी ऋषि मुनि संत जन हुए हैं वह सभी संस्कृत भाषा की प्रखंड विद्वान हुए हैं उनके बताए हुए मार्ग पर चलने के लिए और अपने धर्म को गहराई से जानने के लिए हमें संस्कृत भाषा को सीखने की आवश्यकता है ।
हमने अपनी महान सनातन धर्म परंपरा को जीवित रखने के लिए एक 1 घंटे का संस्कृत भाषा पर कोर्स बनाया है, जो आपके लिए बिल्कुल नि:शुल्क रहेगा, जिसे आप YouTube के माध्यम से कहीं भी सुन सकते हैं ।
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यदि हमारा प्रयास आपको सनातन धर्म संस्कृति की धरोहर के संरक्षण में एक योग्य प्रयास प्रतीत होता है, तो आप भी हमारे इस प्रयास में सहयोग करें, और हमारे द्वारा तैयार किए गए इस संस्कृत भाषा के कोर्स को स्वयं पढ़ें, सुनें और अन्य लोगों तक भी पहुँचाएं।
जय सनातन – जय संस्कृतम्
Article Writing By – Bhaskar Kasniya