वराह पुराण : एक अनसुनी कहानी जो आज भी प्रासंगिक है
जब भी हम हिंदू धर्म के पुराणों की बात करते हैं तो अक्सर भागवत पुराण या शिव पुराण का नाम सबसे पहले आता है ! है ना ? लेकिन आज मैं आपको एक ऐसे पुराण के बारे में बताना चाहता हूँ जो शायद उतना प्रसिद्ध नहीं है… पर सच कहूँ तो इसकी गहराई और महत्ता किसी से कम नहीं ! यह है वराह पुराण !
पहली नज़र में यह बस एक कहानी लगती है ! लेकिन ज़रा ठहरकर सोचिए… इसमें कितनी गहराई छिपी है !
कल्पना कीजिए पूरी पृथ्वी समुद्र की गहराइयों में छुप गई है ! क्यों ? क्योंकि एक दैत्य राजा हिरण्याक्ष ने धरती माता को अपहरण करके समुद्र में छुपा दिया है ! अब बताइए ऐसे में क्या होगा ? कौन बचाएगा हमारी धरती को ?
तब भगवान विष्णु एक विशालकाय सूअर का रूप धारण करते हैं ! समुद्र में गोता लगाते हैं ! और फिर… एक हजार साल तक लड़ते हैं उस दैत्य से ! हजार साल ! सोचिए कितना धैर्य, कितनी दृढ़ता ! अंत में जीतकर अपने दाँतों पर पृथ्वी को उठाकर वापस उसकी जगह रख देते हैं !
यह सिर्फ एक कहानी नहीं है दोस्तों ! पर्यावरण संरक्षण से लेकर अच्छाई और बुराई के संघर्ष तक सब कुछ इस एक कथा में समाया हुआ है !
इतिहासकारों के बीच इस बात पर काफी बहस है कि वराह पुराण कब लिखा गया ! कुछ कहते हैं नौ ( 9 )वीं – दस ( 10 )वीं सदी में, कुछ कहते हैं बारह ( 12 )वीं सदी में ! इतना भ्रम क्यों ?
सच तो यह है कि यह पुराण भी बाकी पुराणों की तरह कई सदियों में विकसित हुआ है ! जैसे जैसे समय बदलता गया नई कहानियाँ और शिक्षाएँ इसमें जुड़ती गईं ! यह तो एकदम किसी पुराने घर की तरह है जिसमें हर पीढ़ी कुछ न कुछ नया जोड़ती रहती है !
और हाँ एक दिलचस्प बात ! इस पुराण का पहला हिस्सा उत्तर भारत में लिखा गया जबकि बाद का हिस्सा नेपाल में ! सोचिए कैसे उस ज़माने में भी लेखक इधर उधर घूमकर अपना काम पूरा करते थे ! यही कारण है कि इसमें मथुरा से लेकर नेपाल के तीर्थों का वर्णन मिलता है !
जब आप इसे पढ़ेंगे तो साफ पता चलेगा यह सिर्फ एक जगह का नहीं बल्कि पूरे हिमालयी क्षेत्र का सांस्कृतिक दस्तावेज है ! कमाल है ना ?
वराह पुराण में कुल दो सौ अठारह ( 218 ) अध्याय हैं ! अब आप सोच रहे होंगे इतने सारे अध्यायों में आखिर क्या भरा है ? दरअसल यह पुराण एक पूरा विश्वकोश है यार ! धर्म कर्म से लेकर राजनीति तक खगोल विज्ञान से लेकर भूगोल तक… बस सब कुछ !
शुरुआती एक सौ बानवे ( 192 ) अध्यायों में मुख्यतः धार्मिक कथाएँ, सृष्टि की उत्पत्ति, और विभिन्न अवतारों की गाथाएँ हैं ! बाकी अध्यायों में तीर्थयात्रा, व्रत उपवास, और धार्मिक अनुष्ठानों का विवरण ! यह व्यवस्था इतनी स्मार्ट है कि आज भी कोई व्यक्ति इसे पढ़कर अपने जीवन में धर्म को कैसे अपनाए, यह सीख सकता है !
मुझे लगता है जो भी इसे लिखा होगा वह बहुत ही व्यावहारिक सोच वाला इंसान रहा होगा !
अब यहाँ बात दिलचस्प हो जाती है ! वराह पुराण की जो चीज़ मुझे सबसे ज़्यादा पसंद आई वह है इसकी व्यावहारिकता ! यह सिर्फ देवी देवताओं की कहानियाँ नहीं सुनाता बल्कि सीधे सीधे बताता है रोज़मर्रा की जिंदगी में हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं !
आपने कभी सोचा है कि हम मंदिर में जाते वक्त क्यों चप्पल बाहर उतारते हैं ? वराह पुराण इसका जवाब बहुत पहले ही दे चुका है ! इसमें बत्तीस ( 32 ) ऐसे कार्य बताए गए हैं जो मंदिर में नहीं करने चाहिए !
मंदिर में गाड़ी या पालकी लेकर जाना, जूते पहनकर अंदर जाना, यहाँ तक कि ऊँची आवाज़ में बातें करना भी गलत बताया गया है ! ये सब बातें आज भी हमारे काम आती हैं ! यानी यह पुराण हजारों साल पहले लिखा गया लेकिन इसकी शिक्षाएँ आज भी बिल्कुल ताज़ा हैं !
वराह पुराण में दान के महत्व पर बहुत जोर दिया गया है ! खासकर ” गो दान ” और ” पर्वत दान ” को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है ! आज के जमाने में हम कहते हैं ‘ दान करना चाहिए ‘ ! लेकिन वराह पुराण ने इसे सिर्फ उपदेश नहीं बनाया बल्कि पूरा तरीका बता दिया ! सच मानिए यही इसकी खासियत है !
जब हम सामाजिक सेवा और परोपकार की बात करते हैं तो यह पुराण हमें वही संस्कार हजारों साल पहले से सिखा रहा था ! और वह भी कैसे विवरण में !
दान कैसे दें, किसे दें, कब दें सब कुछ ! यह व्यावहारिक मार्गदर्शन आज के दानवीरों के लिए भी बहुत उपयोगी है ! क्या आपको नहीं लगता ?
अब ज़रा इस बात पर गौर कीजिए ! आजकल तीर्थयात्रा का मतलब अक्सर सिर्फ घूमना फिरना समझा जाता है ! लेकिन वराह पुराण में तीर्थयात्रा के पीछे की गहरी भावना समझाई गई है !
यह बताता है कि हरिद्वार, मथुरा, द्वारका, बदरीनाथ जैसे स्थान क्यों खास हैं ! और वहाँ जाकर हमें क्या करना चाहिए ! सिर्फ दर्शन करके वापस आ जाना काफी नहीं है !
मुझे व्यक्तिगत रूप से यह बात बहुत अच्छी लगी कि यह पुराण नेपाल के तीर्थों का भी विस्तार से वर्णन करता है ! इससे पता चलता है कि हमारी धार्मिक परंपराएँ देश की सीमाओं से कहीं बड़ी थीं ! आज जब हम नेपाल को एक अलग देश के रूप में देखते हैं तो यह पुराण हमें याद दिलाता है कि सांस्कृतिक रूप से हम एक ही परंपरा के हिस्से हैं !
वराह पुराण का प्रभाव सिर्फ धार्मिक क्षेत्र तक सीमित नहीं रहा ! इसने भारतीय कला और स्थापत्य को भी गहरे तक प्रभावित किया है ! खजुराहो का वराह मंदिर हो या महाबलीपुरम की वराह गुफा सभी जगह इस पुराण की छाप दिखती है !
जब मैं खजुराहो के वराह मंदिर की मूर्ति देखता हूँ तो दिल से यही लगता है यह सिर्फ कला नहीं बल्कि भक्ति की जीवित अभिव्यक्ति है ! खजुराहो के वराह मंदिर में जो 2.6 मीटर लंबी वराह की मूर्ति है उस पर छह सौ पचहत्तर ( 675 ) छोटी छोटी मूर्तियाँ उकेरी गई हैं !
ज़रा सोचिए कितना धैर्य रहा होगा उस कलाकार में ! हर मूर्ति एक अलग देवी देवता को दर्शाती है ! यह दिखाता है कि उस समय के कलाकारों ने वराह पुराण को कितनी गहराई से समझा था ! कितनी श्रद्धा से बनाया होगा !
आप सोच रहे होंगे कि आज के जमाने में इन पुराने ग्रंथों को पढ़ने का क्या फायदा ? मैं आपको बताता हूँ ! वराह पुराण में ऐसी कई बातें हैं जो आज भी बेहद प्रासंगिक हैं !
पहली बात पर्यावरण संरक्षण ! वराह अवतार की कहानी दरअसल धरती को बचाने की कहानी है ! आज जब हम जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण से जूझ रहे हैं तो यह पुराण हमें याद दिलाता है कि धरती की रक्षा करना हमारा पवित्र कर्तव्य है !
दूसरी बात नैतिक मूल्य ! इस पुराण में बताए गए जीवन के सिद्धांत आज भी उतने ही सच हैं ! ईमानदारी, दान, परोपकार, न्याय ये सभी मूल्य आज भी हमारे समाज की जरूरत हैं ! यह कभी पुराना नहीं पड़ता !
तीसरी बात मानसिक शांति ! आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में वराह पुराण की शिक्षाएँ मानसिक शांति पाने का रास्ता दिखाती हैं ! ध्यान, भक्ति, और आत्म चिंतन के तरीके आज भी उतने ही शक्तिशाली हैं !
एक बड़ी समस्या यह है कि वराह पुराण का हिंदी अनुवाद बहुत कम उपलब्ध है ! ज्यादातर पाठ संस्कृत में ही मिलते हैं ! अब आम आदमी कैसे समझे संस्कृत ? हाल के वर्षों में कुछ प्रकाशकों ने हिंदी अनुवाद प्रकाशित किए हैं लेकिन वे भी बहुत कठोर भाषा में हैं !
जरूरत इस बात की है कि इस पुराण का सरल भाषा में अनुवाद हो ! ताकि आम लोग भी इसका लाभ उठा सकें ! आज जब लोग अपनी जड़ों से जुड़ना चाहते हैं तो ऐसे ग्रंथों का आसान भाषा में होना बहुत ज़रूरी है !
वरना क्या फायदा ऐसे ज्ञान का जो लोगों तक पहुँच ही न सके ?
हाल के सालों में टेलीविजन और फिल्मों में भी वराह अवतार की कहानियाँ दिखाई गई हैं ! यह अच्छी बात है कि नई पीढ़ी को इन कहानियों से परिचय मिल रहा है ! लेकिन सच कहूँ तो मुझे लगता है कि इन प्रस्तुतियों में वराह पुराण की असली गहराई पूरी तरह से नहीं आ पाती !
जरूरत इस बात की है कि वराह अवतार को सिर्फ एक एक्शन फिल्म की तरह न दिखाकर इसके पीछे के दार्शनिक संदेश को भी उजागर किया जाए !
मुझे याद है जब मैंने पहली बार इस पुराण को पूरा पढ़ा तो सच कहूँ मन एक अजीब सी शांति से भर गया ! लगा कि जैसे कोई पुराना दोस्त अपनी कहानी सुना रहा हो !
वराह पुराण सिर्फ एक पुराना ग्रंथ नहीं है ! यह एक जीवित परंपरा है जो आज भी हमारे जीवन में प्रासंगिक है ! इसकी कहानियाँ हमें मनोरंजन करती हैं इसकी शिक्षाएँ हमारा मार्गदर्शन करती हैं और इसके सिद्धांत हमारे चरित्र को आकार करते हैं !
आज के समय में जब हम तनाव, प्रदूषण, और नैतिक संकट से घिरे हुए हैं तो वराह पुराण हमें राह दिखाता है ! यह बताता है कि कैसे हम अपने कर्तव्य का पालन करते हुए, धर्म के रास्ते पर चलते हुए, एक बेहतर जीवन जी सकते हैं !
तो मेरी सलाह यह है अगर आपको भारतीय संस्कृति और धर्म में रुचि है तो वराह पुराण को जरूर पढ़ें ! यह न सिर्फ आपके ज्ञान को बढ़ाएगा बल्कि आपके जीवन को भी एक नई दिशा देगा !
और हाँ इसे पढ़ते समय धैर्य रखें ! यह कोई उपन्यास नहीं है जिसे जल्दी जल्दी खत्म कर दिया जाए ! इसे धीरे धीरे, समझ समझकर पढ़ना चाहिए ! तभी इसका वास्तविक आनंद मिलेगा !
सच मानिए यह एक ऐसा अनुभव है जो आपकी जिंदगी में हमेशा के लिए कुछ अच्छा जोड़ देगा !